नई दिल्ली I अब आप अपने बैंक अकाउंट में एक की जगह चार नॉमिनी जोड़ सकेंगे। वित्त मंत्रालय ने 23 अक्टूबर को नए नियमों की घोषणा की, जो 1 नवंबर 2025 से लागू होंगे। इनके तहत अकाउंट होल्डर्स चार नॉमिनी नियुक्त कर सकेंगे और यह भी तय कर सकेंगे कि प्रत्येक नॉमिनी को कितना हिस्सा मिलेगा। इससे बैंकिंग क्लेम और उत्तराधिकार की प्रक्रिया आसान, पारदर्शी और तेज होगी।
नए नियमों की खास बातें
1. चार नॉमिनी की सुविधा: अकाउंट होल्डर्स अब चार लोगों को नॉमिनी बना सकेंगे। नॉमिनी का चयन एक साथ या एक के बाद एक (सक्सेसिव) किया जा सकेगा।
2. हिस्सेदारी तय करने की आजादी: डिपोजिटर्स प्रत्येक नॉमिनी के लिए शेयर या परसेंटेज तय कर सकेंगे, जो कुल 100% होगा। इससे राशि का बंटवारा स्पष्ट रहेगा।
3. सक्सेसिव नॉमिनेशन: डिपॉजिट, सेफ कस्टडी आर्टिकल्स या लॉकर के लिए अगला नॉमिनी तभी सक्रिय होगा, जब पिछला नॉमिनी जीवित न हो। इससे सेटलमेंट और उत्तराधिकार की प्रक्रिया क्लियर रहेगी।
4. नॉमिनी बदलने की सुविधा: नॉमिनी को कभी भी बदला या रद्द किया जा सकेगा। इसके लिए बैंक ब्रांच, ऐप या ऑनलाइन पोर्टल के जरिए फॉर्म भरा जा सकता है I
नॉमिनेशन से जुड़े जरूरी सवाल-जवाब
1. नॉमिनेशन क्यों जरूरी है?
नॉमिनेशन होने पर अकाउंट होल्डर के निधन के बाद बैंक अकाउंट, FD या लॉकर का सामान नॉमिनी को बिना किसी कानूनी अड़चन के तुरंत ट्रांसफर हो जाएगा। बिना नॉमिनी के उत्तराधिकारियों को कोर्ट का सहारा लेना पड़ सकता है। आमतौर पर परिवार के सदस्य जैसे पति/पत्नी, बच्चे या भाई-बहन को नॉमिनी बनाया जाता है।
2. नॉमिनी बदलना या रद्द करना आसान है?
हां, नॉमिनी को कभी भी बदला या रद्द किया जा सकता है। इसके लिए बैंक ब्रांच, ऐप या ऑनलाइन पोर्टल पर फॉर्म भरना होगा। चार नॉमिनी जोड़ने की विस्तृत गाइडलाइंस जल्द जारी होंगी।
3. लॉकर और सेफ कस्टडी के लिए नियम?
लॉकर या सेफ कस्टडी के लिए केवल सक्सेसिव नॉमिनेशन (एक के बाद एक) की अनुमति होगी। यानी अगला नॉमिनी तभी सक्रिय होगा, जब पिछला नॉमिनी जीवित न हो।
4. नाबालिग को नॉमिनी बनाने का नियम?
नाबालिग को नॉमिनी बनाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए गार्जियन (जैसे माता-पिता) का नाम जोड़ना अनिवार्य होगा। ट्रस्ट या कस्टोडियन भी बनाया जा सकता है। इसकी प्रक्रिया की गाइडलाइंस जल्द आएंगी।
क्या होगा फायदा?
वित्त मंत्रालय के अनुसार, ये नए नियम बैंकिंग सेक्टर में क्लेम सेटलमेंट को एकसमान, पारदर्शी और तेज बनाएंगे। नॉमिनेशन जोड़ने, बदलने या रद्द करने की प्रक्रिया को और सरल करने के लिए जल्द ही विस्तृत गाइडलाइंस जारी की जाएंगी। यह बदलाव डिपोजिटर्स को अपनी पसंद के हिसाब से नॉमिनेशन करने की आजादी देगा और कानूनी पेचीदगियों को कम करेगा।
नए नियमों के तहत बैंकिंग प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ेगी और उत्तराधिकार से जुड़े विवादों में कमी आएगी। यह कदम डिपोजिटर्स के लिए एक बड़ा राहतकारी बदलाव साबित होगा।