RBI का बड़ा बयान: मंदी और भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था धांसू
आरबीआई की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। घरेलू मांग, नियंत्रित मुद्रास्फीति और सुदृढ़ बैंकिंग सिस्टम से ग्रोथ का भरोसा बरकरार है। बैंक व वित्तीय संस्थान पर्याप्त पूंजीयुक्त हैं, हालांकि माइक्रोफाइनेंस सेक्टर में जोखिम और दबाव को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी गई है।
New Delhi : वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत वृद्धि पथ पर बने रहने की संभावना जताई गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने अपनी ताज़ा वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट में कहा है कि मजबूत घरेलू मांग, नियंत्रित मुद्रास्फीति और संतुलित व्यापक आर्थिक नीतियों के कारण देश की आर्थिक बुनियाद मज़बूत बनी हुई है।
रिपोर्ट के अनुसार, घरेलू वित्तीय प्रणाली स्थिर है और अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के पास पर्याप्त पूंजी व नकदी भंडार उपलब्ध है। साथ ही परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ है और बैंकिंग क्षेत्र की लाभप्रदता भी मजबूत स्थिति में है।
अनिश्चितताओं के बीच भी ग्रोथ का भरोसा
आरबीआई ने कहा कि अनुकूल वित्तीय परिस्थितियों, सुदृढ़ बहीखातों और बाजारों में अपेक्षाकृत कम उतार-चढ़ाव ने अर्थव्यवस्था की मजबूती को सहारा दिया है। हालांकि, वैश्विक व्यापार से जुड़ी अनिश्चितताएं निकट भविष्य में प्रमुख जोखिम बनी रह सकती हैं। केंद्रीय बैंक के स्ट्रेस टेस्ट के नतीजों के अनुसार, प्रतिकूल परिस्थितियों में भी बैंक संभावित नुकसान झेलने में सक्षम हैं और उनकी पूंजी नियामकीय न्यूनतम स्तर से काफी ऊपर रहेगी।
वित्तीय क्षेत्र के अन्य संस्थान भी स्थिर
रिपोर्ट में कहा गया कि म्यूचुअल फंड कंपनियां, गैर—बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (NBFC), समाशोधन निगम और बीमा क्षेत्र भी पर्याप्त पूंजी, स्थिर आय और बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ता के साथ मजबूत स्थिति में हैं। यह आकलन वित्तीय स्थिरता एवं विकास परिषद (FSDC) की उप-समिति द्वारा किए गए मूल्यांकन को प्रतिबिंबित करता है।
माइक्रोफाइनेंस सेक्टर पर आरबीआई की चेतावनी
आरबीआई ने छोटी राशि के ऋण देने वाले संस्थानों को अपने ऋण बही-खातों में संभावित दबाव को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है। रिपोर्ट में कहा गया कि माइक्रोफाइनेंस खंड में हाल के समय में चुनौतियां उभरी हैं, जिनकी मुख्य वजह उधारकर्ताओं पर बढ़ता कर्ज बोझ है। केंद्रीय बैंक के अनुसार चालू वित्त वर्ष में दक्षिणी राज्यों—विशेषकर कर्नाटक और तमिलनाडु—में ऋण वितरण की गति अपेक्षाकृत धीमी रही है। इस खंड में भविष्य में परिसंपत्ति गुणवत्ता पर दबाव बढ़ने की आशंका जताते हुए आरबीआई ने कड़ी निगरानी और सतर्क ऋण वितरण की आवश्यकता पर जोर दिया है।
