नई दिल्ली: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' के मालिक एलन मस्क की कंपनी के साथ कानूनी विवाद के बाद केंद्र सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) कानून में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। इन संशोधनों से पारदर्शिता, जवाबदेही और सुरक्षा उपायों को मजबूत करने का लक्ष्य है। बुधवार देर रात इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 में संशोधनों को अधिसूचित किया।
मंत्रालय के अनुसार, ये बदलाव आईटी अधिनियम, 2000 के तहत मध्यस्थों के उचित परिश्रम दायित्वों को मजबूत करते हैं। समीक्षा में सीनियर लेवल की जवाबदेही, गैरकानूनी सामग्री की सटीक पहचान और सरकारी निर्देशों की हायर लेवल समीक्षा की जरूरत पर जोर दिया गया। यह कदम कर्नाटक हाईकोर्ट के उस फैसले के एक महीने बाद आया है, जिसमें X कॉर्प की याचिका खारिज कर दी गई थी। याचिका में सरकारी अधिकारियों के इंफॉर्मेशन ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी करने के अधिकार को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा था कि सोशल मीडिया को रेगूलेट करना जरूरी है, खासकर महिलाओं के खिलाफ अपराधों में, वरना संविधान प्रदत्त सम्मान के अधिकार का हनन होगा।
प्रमुख संशोधन क्या हैं?
1. सीनियर अधिकारी ही जारी करेंगे आदेश: अवैध जानकारी हटाने का निर्देश अब संयुक्त सचिव या समकक्ष से नीचे का अधिकारी नहीं जारी कर सकेगा। जहां ऐसा पद न हो, वहां निदेशक या समकक्ष अधिकारी ही अधिकृत होगा। पुलिस के मामले में सिर्फ DIG रैंक या उससे ऊपर का विशेष रूप से अधिकृत अधिकारी ही ऐसा कर सकेगा। पहले पुलिस इंस्पेक्टर भी निर्देश दे सकते थे।
2. तर्कसंगत और विस्तृत सूचना अनिवार्य: आदेश में कानूनी आधार, वैधानिक प्रावधान, अवैध कृत्य की प्रकृति और हटाए जाने वाले कंटेंट का स्पष्ट URL या पहचानकर्ता बताना जरूरी होगा।
3. मासिक समीक्षा: सभी आदेशों की मासिक जांच होगी ताकि वे आवश्यक, आनुपातिक और कानून सम्मत रहें।
मंत्रालय ने कहा कि ये संशोधन नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों और राज्य की नियामक शक्तियों के बीच संतुलन बनाते हैं। इससे मनमाने प्रतिबंध रोके जाएंगे और प्रवर्तन पारदर्शी होगा। "विस्तृत सूचनाओं से मध्यस्थों को बेहतर मार्गदर्शन मिलेगा और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत बरकरार रहेंगे," मंत्रालय ने जोड़ा।
ये बदलाव सोशल मीडिया पर गैरकानूनी कंटेंट के खिलाफ कार्रवाई को अधिक जवाबदेह बनाएंगे, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सरकार की शक्तियां सीमित होंगी और प्लेटफॉर्म्स को राहत मिलेगी।