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सनातन पर हमला बर्दाश्त नहीं: बांग्लादेश हिंसा के विरोध में काशी के संतों का प्रदर्शन, अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर कथित अत्याचार और दीपू दास की हत्या के विरोध में काशी के संत समाज ने पदयात्रा और विरोध सभा की। संतों ने रथयात्रा से दशाश्वमेध घाट तक मार्च कर अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदुओं की सुरक्षा की मांग की और श्रद्धांजलि अर्पित की।

 
सनातन पर हमला बर्दाश्त नहीं: बांग्लादेश हिंसा के विरोध में काशी के संतों का प्रदर्शन, अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप की मांग
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Varanasi : बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हो रहे कथित अत्याचारों और युवक दीपू दास की नृशंस हत्या के विरोध में शुक्रवार को काशी का संत समाज सड़कों पर उतर आया। काशी संत समाज के बैनर तले आयोजित पदयात्रा और विरोध सभा के माध्यम से संतों ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग उठाई।

विरोध प्रदर्शन की शुरुआत रथयात्रा चौराहे से हुई। संतों ने पैदल मार्च करते हुए दशाश्वमेध घाट तक यात्रा निकाली। इस दौरान संत सनातन धर्म के जयघोष और आक्रोशपूर्ण नारों के साथ हाथों में न्याय की मांग वाली तख्तियां लिए नजर आए।

संतों का आह्वान

संतों ने अपने संबोधन में कहा कि दीपू दास की हत्या केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे सनातन समाज की आस्था और अस्तित्व पर हमला है। उन्होंने भारत सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मांग की कि बांग्लादेश सरकार पर दबाव बनाया जाए, ताकि वहां रह रहे हिंदुओं के जीवन, धार्मिक स्वतंत्रता और मंदिरों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। सभा के अंत में संतों ने दीप प्रज्वलित कर दीपू दास को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की।

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दशाश्वमेध घाट पर हुई विरोध सभा

दशाश्वमेध घाट पर आयोजित सभा को काशी के प्रमुख संतों ने संबोधित किया। मुख्य वक्ताओं में महामंडलेश्वर स्वामी प्रणव चैतन्यपुरी महाराज, ब्रह्मचारी दिव्य चैतन्य महाराज, स्वामी जितेन्द्रानंद महाराज, स्वामी राधवानंद महाराज, स्वामी अनघानंद महाराज, स्वामी बालक दास महाराज, स्वामी जगदीश्वरानंद दास महाराज शामिल रहे। सभा का संयोजन स्वामी ब्रह्मायानंद जी महाराज ने किया, जबकि संचालन स्वामी सोहम् चैतन्यपुरी जी महाराज ने किया।