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Ganga घाटों पर तेजी से चल रहा सफाई अभियान, बाढ़ के बाद फिर लौट रहा घाटों का स्वरूप

 
Ganga घाटों पर तेजी से चल रहा सफाई अभियान, बाढ़ के बाद फिर लौट रहा घाटों का स्वरूप
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वाराणसी। Ganga के जलस्तर में पिछले चार से पांच दिनों से स्थिरता बनी हुई है। इससे पहले आई बाढ़ के कारण घाटों पर जमी मोटी गाद और कीचड़ अब धीरे-धीरे हटाई जा रही है। नगर निगम और तीर्थ पुरोहितों की मदद से घाटों को फिर से उनके मूल स्वरूप में लाने के लिए युद्ध स्तर पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है, जो पिछले 15 दिनों से लगातार जारी है।

Ganga घाटों पर तेजी से चल रहा सफाई अभियान, बाढ़ के बाद फिर लौट रहा घाटों का स्वरूप

बाढ़ के बाद घाटों पर जमा हुई मोटी परतों को हटाने के लिए विशेष पंप लगाए गए हैं, जो गाद और कीचड़ को बाहर निकाल रहे हैं। जय मां Ganga Seva Samiti और नगर निगम के कर्मचारी दिन-रात मिलकर इस काम में लगे हुए हैं। नगर निगम का कहना है कि सफाई कार्य को और तेज़ किया जाएगा और कम से कम पंद्रह दिन और यह अभियान चलाया जाएगा।

Ganga घाटों पर तेजी से चल रहा सफाई अभियान, बाढ़ के बाद फिर लौट रहा घाटों का स्वरूप

लगातार प्रयासों के चलते अब घाटों का पुराना स्वरूप लौटने लगा है। कहीं सीढ़ियों की चमक दिखने लगी है तो कहीं पूजा-पाठ की गतिविधियां फिर से शुरू हो चुकी हैं। Ganga आरती स्थलों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।

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Ganga का जलस्तर एक समय एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की दर से घट रहा था, लेकिन अब वह स्थिर है। इस कारण घाट किनारे रहने वाले तीर्थ पुरोहितों, स्थानीय लोगों और प्रशासन की सतर्कता बनी हुई है। सभी की नजरें मौसम और जलस्तर के अगले रुझान पर टिकी हैं।

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वाराणसी के घाट केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और पर्यटन के लिहाज से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। गंगा आरती, तीर्थ स्नान और नौकाविहार जैसी गतिविधियां घाटों को जीवंत बनाती हैं। ऐसे में घाटों की स्वच्छता और सुरक्षा प्राथमिकता में शामिल है।

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नगर निगम अधिकारियों का मानना है कि यदि यही सहयोग बना रहा तो घाट पहले से भी अधिक सुंदर और आकर्षक बनेंगे। स्थानीय नागरिकों ने भी इस मुहिम में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। यह अभियान एक उदाहरण बनकर उभरा है कि प्रशासन और जनता के संयुक्त प्रयासों से कोई भी संकट अवसर में बदला जा सकता है।