संपूर्णानंद संस्कृत विवि को हाईकोर्ट का आदेश, 30 दिन में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर करें डॉ रानी द्विवेदी की नियुक्ति
Sanskrit University Appointment: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी में सहायक प्रोफेसर (भाषा विज्ञान) पद की भर्ती पर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कुलाधिपति और कुलपति के आदेश रद्द करते हुए विश्वविद्यालय को 30 दिन के भीतर डॉ. रानी द्विवेदी की नियुक्ति की सभी औपचारिकताएं पूरी करने का निर्देश दिया।
यह निर्णय मंगलवार को सुनाया गया। विश्वविद्यालय ने नियुक्ति के संबंध में वर्ष 2016 में विज्ञापन जारी किया गया। गणेश त्रिपाठी और डा. रानी द्विवेदी आवेदक थे। भर्ती प्रक्रिया रोके जाने को उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। 29 मई 2025 को हाई कोर्ट ने गणेश त्रिपाठी की याचिका खारिज दी। दूसरी याची डा. रानी द्विवेदी 25 अक्टूबर 2017 को इंटरव्यू पैनल के समक्ष उपस्थित हुई थीं।
परिणाम घोषित होने से पहले ही विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कार्यालय ने 27 अक्टूबर 2017 को कुलपति को पत्र भेजकर यूजीसी विनियम 2010 में हुए संशोधनों को शामिल करने के बाद चयन प्रक्रिया आगे बढ़ाने का निर्देश दिया। यह भी कहा कि कुलपति पहली नवंबर 2017 को आसन्न सेवानिवृत्ति के मद्देनजर कोई नीतिगत निर्णय न लें। कुलाधिपति के निर्देशों के क्रम में कुलपति ने तीन नवंबर 2017 के आदेश से भर्तियों पर रोक लगा दी।
याचिकाओं में इन्हीं आदेश को चुनौती दी गई। याची के अधिवक्ता का कहना था कि विवि की ओर से विज्ञापन जारी करने में कोई अवैधता नहीं की गई थी। विश्वविद्यालय की तरफ से कहा गया कि प्रतिवादी चयन प्रक्रिया का परिणाम घोषित करने के लिए बाध्य करने का अधिकार नहीं रखते। खंडपीठ ने इस संबंध में संकर्षण दास बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया। कोर्ट ने कहा डॉ रानी द्विवेदी इंटरव्यू में सफल रही थीं। बाद में जारी निर्देश इस भर्ती प्रक्रिया पर लागू नहीं होगा। 30 दिन के अंदर डॉ रानी द्विवेदी को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद में अप्वाइंट करें।
