वाराणसी I कैंसर न केवल शरीर को प्रभावित करता है, बल्कि यह मरीजों के मन और यौन स्वास्थ्य पर भी गहरा असर डालता है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग ने इस दिशा में एक महत्वपूर्ण शोध किया है, जिसके निष्कर्ष अंतरराष्ट्रीय पत्रिका ‘Psycho-Oncology’ में प्रकाशित हुए हैं। प्रो. मनोज पांडेय के नेतृत्व में हुए इस शोध में 350 कैंसर मरीजों पर अध्ययन किया गया, जिसमें पाया गया कि कैंसर के इलाज और इसके दुष्प्रभाव मरीजों के मानसिक और यौन जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित करते हैं।
350मरीजोंपरआधारितशोध
18 से 60 वर्ष की आयु के 350 कैंसर मरीजों को शामिल करते हुए इस अध्ययन में मरीजों और उनकी पत्नियों से विस्तृत साक्षात्कार किए गए। शोध में पाया गया कि 150 से अधिक मरीजों में मनोयौन विकृति के लक्षण मौजूद थे। प्रो. पांडेय के अनुसार, कैंसर का डर, शारीरिक बदलाव, थकान, दवाओं के दुष्प्रभाव, दर्द, अवसाद, आत्मग्लानि और आत्म-छवि में कमी जैसे दस प्रमुख कारण मरीजों के यौन जीवन पर नकारात्मक असर डालते हैं। सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन जैसे उपचार जीवन रक्षक होने के बावजूद मरीजों में मानसिक तनाव, चिंता और आत्मविश्वास की कमी को बढ़ाते हैं, जिससे यौन संबंधों में असंतोष और दूरी बढ़ जाती है।
नयामूल्यांकनउपकरण ‘साइको-सैक्सुअलइनवेंट्री’
शोध का सबसे महत्वपूर्ण योगदान है ‘साइको-सैक्सुअल इनवेंट्री’ नामक एक नया मूल्यांकन उपकरण, जिसमें 40 से अधिक प्रश्न शामिल हैं। यह उपकरण कैंसर मरीजों के मानसिक और यौन स्वास्थ्य का वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करने में मदद करेगा। इसके जरिए डॉक्टर और मनोचिकित्सक मरीजों की समस्याओं को समय रहते पहचानकर उचित काउंसिलिंग और उपचार प्रदान कर सकेंगे। शोध में यह भी पाया गया कि उचित मनोवैज्ञानिक परामर्श से इन समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
वैश्विकस्तरपरमिलीपहचान
इस शोध में प्रो. मनोज पांडेय के साथ शोध छात्रा आश्रती पठानिया, केरल विश्वविद्यालय की अनुपमा थॉमस और क्षेत्रीय कैंसर केंद्र, तिरुअनंतपुरम की रेखा शामिल थीं। इस अध्ययन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित पत्रिका ‘Psycho-Oncology’ में प्रकाशित किया गया, जिससे भारतीय चिकित्सा शोध को वैश्विक मंच पर नई पहचान मिली है। यह शोध कैंसर मरीजों के समग्र उपचार में मानसिक और यौन स्वास्थ्य को शामिल करने की आवश्यकता पर बल देता है, ताकि उनका जीवन स्तर बेहतर हो सके।