वाराणसी के नमो घाट से चलेगी देश की पहली हाइड्रोजन वाटर टैक्सी, केंद्रीय मंत्री आज दिखाएंगे हरी झंडी
देश की सांस्कृतिक राजधानी वाराणसी आज स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रही है। नमो घाट पर भारत की पहली स्वदेशी हाइड्रोजन वाटर टैक्सी का शुभारंभ होगा। केंद्रीय बंदरगाह, जल परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल इस टैक्सी को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इसके साथ ही काशी देश का पहला शहर बन जाएगा जहां हाइड्रोजन संचालित पोत चलेगा।
नमो घाट से रविदास घाट तक चलेगी सेवा
इस हाइड्रोजन वाटर टैक्सी का संचालन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के तहत जलसा क्रूज लाइन करेगी। शुरुआत में टैक्सी नमो घाट से रविदास घाट के बीच चलाई जाएगी और दिन में लगभग 7 फेरे लगाएगी। भविष्य में इसे असि घाट से मार्कण्डेय धाम तक विस्तारित करने की योजना है।
मंत्री सोनोवाल के अनुसार, यह परियोजना काशी में पर्यटन को नई दिशा देगी। दो हाइड्रोजन वाटर टैक्सी गंगा में चलाई जाएंगी और एक टैक्सी में 50 यात्री एक साथ सफर कर सकेंगे। 500 रुपये किराए में यात्री घाटों की संस्कृति, इतिहास और बनारसी स्वाद का आनंद ले सकेंगे।
हाइड्रोजन वाटर टैक्सी की विशेषताएं
क्रूज लाइन के निदेशक आशीष चावला ने बताया कि यह टैक्सी पूरी तरह स्वदेशी है और इसका निर्माण कोच्चि शिपयार्ड में हुआ है।
मुख्य विशेषताएं:
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हाइड्रोजन की आपूर्ति बेंगलुरु की कंपनी द्वारा की जाएगी।
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नमो घाट और असि घाट पर हाइड्रोजन पंपिंग स्टेशन तैयार किए गए हैं।
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टैक्सी में दो स्क्रीन लगी हैं जो गंगा और काशी के बारे में जानकारी देंगी।
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यह पूरी तरह वायु और ध्वनि प्रदूषण मुक्त है, यात्रियों को अत्यंत शांत और स्वच्छ यात्रा का अनुभव मिलेगा।
काशी बनेगा पायलट प्रोजेक्ट का केंद्र
IWAI के वाराणसी निदेशक संजय कुमार ने बताया कि यह एक पायलट प्रोजेक्ट है। हाइड्रोजन ऊर्जा से संचालित यह टैक्सी अन्य जलयानों की तुलना में कम समय में अधिक दूरी तय कर सकेगी, जिससे ईंधन की बचत होगी।
यदि यह मॉडल सफल रहता है, तो देश के अन्य शहरों में भी इसे शुरू किया जाएगा।
टैक्सी में इलेक्ट्रिक इंजन भी लगा है, जो आवश्यकता पड़ने पर बैकअप की तरह चल सकता है। नमो घाट, ललिता घाट, शिवाला घाट और रविदास घाट पर इलेक्ट्रिक चार्जिंग और हाइड्रोजन पंपिंग स्टेशन बनाए जाने की योजना थी, लेकिन इसमें अभी सर्वेक्षण चल रहा है।
क्रूज की तकनीकी क्षमता
यह जलयान मेट्रो ट्रेन की तरह आधुनिक डिजाइन में तैयार किया गया है।
मुख्य तकनीकी विशेषताएं:
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50 किलोवाट का फ्यूल सेल, जो हाइड्रोजन और ऑक्सीजन से बिजली बनाता है।
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यह उपकरण छोटा, हल्का और कम गर्मी पैदा करता है।
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गाड़ियों और बसों में भी फ्यूल सेल तकनीक का उपयोग होता है।
ग्रीन हाइड्रोजन क्या होती है?
ग्रीन हाइड्रोजन सबसे स्वच्छ और शून्य प्रदूषण वाली ऊर्जा मानी जाती है।
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इसे पानी में से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को अलग करके बनाया जाता है।
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इसके लिए इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग होता है, जो सोलर या पवन ऊर्जा जैसे रिन्यूएबल स्रोतों से चलता है।
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इसका उपयोग परिवहन, स्टील, केमिकल और अन्य कई क्षेत्रों में किया जा सकता है।
हाइड्रोजन प्लांट की तैयारी
IWAI रामनगर मल्टीमॉडल टर्मिनल पर जलयान के लिए हाइड्रोजन की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु एक अस्थायी हाइड्रोजन उत्पादन प्लांट स्थापित कर रहा है। यह प्लांट प्रतिदिन 1500 किलो गैस तैयार करने की क्षमता रखेगा।
भविष्य में IWAI तीन स्थायी हाइड्रोजन प्लांट भी स्थापित करेगा। शुरुआत में हाइड्रोजन गैस की व्यवस्था कोच्चि शिपयार्ड खुद करेगा, बाद में निजी कंपनियों की मदद ली जाएगी।
