काशी तमिल संगमम 4.0: नमो घाट पर सांस्कृतिक संध्या, बिरहा-कजरी और थप्पट्टम से झूमें तमिल शिक्षक
वाराणसी। काशी तमिल संगमम के चौथे संस्करण में तमिलनाडु से आए 200 से अधिक शिक्षक प्रतिनिधि काशी की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर में पूरी तरह रम गए। शनिवार नमो घाट पर आयोजित सांस्कृतिक संध्या में काशी और तमिलनाडु के कलाकारों ने एक-दूसरे की परंपराओं को जिस खूबसूरती से प्रस्तुत किया, उसने दर्शकों को मुग्ध कर दिया।
कार्यक्रम की शुरुआत काशी के लोक कलाकार महेंद्र यादव और उनकी टीम ने की। बिरहा, पचरा और दादरा की प्रस्तुति से तमिल शिक्षक झूम उठे। देवी पचरा गीत “निबियां के डरिया मईया डालेंनी झूलनवा...” और दादरा “धन्य धन्य मयरिया...” सुनकर दर्शक घाट पर ही देवी भक्ति में थिरकने लगे। हारमोनियम पर धीरज कुमार, ढोलक पर बच्चेलाल और कोरस में पिंटू, सुभाष व रामचंद्र ने शानदार संगत की।
इसके बाद तमिलनाडु से आए रविचंद्रन और उनके ग्रुप ने ओलियट्टम व थप्पट्टम लोक नृत्य की धमाकेदार प्रस्तुति दी। मांडवी सिंह ने शिव स्तुति से शुरू कर कथक नृत्य पेश किया और “जय जय भवानी दुर्गे महारानी...” पर समापन कर दर्शकों को शिवमय कर दिया। गायन-हारमोनियम पर गौरव मिश्रा, तबला पर भोलानाथ मिश्रा व देव नारायण तथा सारंगी पर ओम सहाय ने साथ निभाया।
नंदिनी सिंह और उनकी टीम (काश्वि सिंह, तानाश्वी मिश्रा, अक्षया प्रजापति, अक्षधा सिंह, श्रुति मंगलम, आराध्या मिश्रा, वर्तिका, अलंकृता) ने बनारस की मोहक कजरी पर लोक नृत्य प्रस्तुत कर तालियां बटोरी।
काशी में आते ही मिट जाता है अहंकार : पं. राजेश्वर आचार्य
दिन में बीएचयू में आयोजित शैक्षणिक सत्र में पद्मश्री पं. राजेश्वर आचार्य ने कहा, “काशी में जो भी आता है, वह कभी पराया नहीं रहता। यहां आते ही अहंकार त्याग हो जाता है और आध्यात्मिक सत्य प्रकट होने लगता है।” योगी रामसूरतकुमार आश्रम की अनाहीता सिधवा ने 1959 में तमिलनाडु व उत्तर भारत के बीच बने आध्यात्मिक सेतु की चर्चा की।
कुलपति प्रो. अजित कुमार चतुर्वेदी ने कहा, “जुड़वा बच्चे भी एक जैसे नहीं होते, फिर संस्कृतियां कैसे एक जैसी हो सकती हैं? प्रश्न समानता का नहीं, एकत्व के उत्सव का है।” आईआईटी बीएचयू के प्रो. राकेश भट्ट ने इसे नई भाषा, नई दोस्ती और नई समझ का संगम बताया।
तमिल शिक्षकों ने हिंदी विभाग, आईयूसीटीई, आईआईटी बीएचयू और महामना आर्काइव का भ्रमण किया। इसके बाद कमच्छा स्थित सेंट्रल हिंदू बॉयज स्कूल और रणवीर संस्कृत विद्यालय भी गए, जहां प्राचार्य आनंद जैन ने स्वागत किया।
