माघ माह का महात्म्य: जनवरी में पौष पूर्णिमा से वसंत पंचमी तक गंगा स्नान-दान से पुण्य लाभ के 5 अवसर
जनवरी माह में माघ स्नान का विशेष धार्मिक महत्व है। पौष पूर्णिमा से वसंत पंचमी तक गंगा स्नान, दान और पुण्य अर्जन के कई पावन अवसर बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इन तिथियों पर स्नान से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
Magh Mela Snan 2026: नववर्ष के साथ ही जनवरी माह में सनातन परंपरा का अत्यंत पावन माघ मास आरंभ हो रहा है, जिसे धर्म और आध्यात्म की दृष्टि से विशेष पुण्यकारी माना गया है। काशी, प्रयागराज सहित देशभर के पवित्र तीर्थों पर इस दौरान स्नान-दान का अद्भुत संयोग बन रहा है। पौष पूर्णिमा से लेकर वसंत पंचमी तक कई प्रमुख पर्व श्रद्धालुओं को गंगा, यमुना और त्रिवेणी संगम में स्नान कर अक्षय पुण्य अर्जित करने का अवसर देंगे।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार, सनातन शास्त्रों में अष्टमी, द्वादशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावस्या और सूर्य संक्रांति को विशेष पर्व तिथियों की श्रेणी में रखा गया है। माघ मास के स्नान-दान इन्हीं तिथियों में श्रेष्ठ फलदायी माने गए हैं।
पौष पूर्णिमा से होगी माघ स्नान की शुरुआत
पौष मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा 2 जनवरी की सायं 6:12 बजे से 3 जनवरी की शाम 4:03 बजे तक रहेगी। इसका मुख्य स्नान-दान पुण्यकाल 3 जनवरी को माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, माघ मास में होने वाले सभी विशिष्ट स्नानों का पुण्य तभी पूर्ण होता है, जब पौष पूर्णिमा का स्नान किया जाए।
मकर संक्रांति: सूर्य के उत्तरायण का महापर्व
मकर संक्रांति सूर्य के धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश का पर्व है, जो प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा के बढ़ने का प्रतीक माना जाता है। इस वर्ष मकर संक्रांति 14 जनवरी की रात 9:39 बजे लगेगी, जबकि 15 जनवरी को सूर्योदय से 8–16 घंटे तक स्नान-दान का विशेष पुण्यकाल रहेगा। इस दिन किया गया दान-स्नान अक्षय फल प्रदान करता है।
षट्तिला एकादशी: तिल दान से स्वास्थ्य और पुण्य
माघ मास में तिल का सेवन और दान अत्यंत लाभकारी माना गया है। षट्तिला एकादशी 13 जनवरी की शाम 3:51 बजे से 14 जनवरी की शाम 6:00 बजे तक रहेगी। इसका स्नान-दान पुण्य 14 जनवरी को प्राप्त किया जा सकेगा।
मौनी अमावस्या: मौन और स्नान से महापुण्य
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है। इस दिन मौन व्रत के साथ गंगा स्नान को अत्यंत पुण्यदायी बताया गया है। यह तिथि 17 जनवरी की रात 11:55 बजे से 18 जनवरी की रात 1:09 बजे तक रहेगी। काशी में इस दिन स्नान का विशेष महत्व है।
वसंत पंचमी: विद्या और चेतना का पर्व
वसंत पंचमी को मां सरस्वती (वागीश्वरी) के पूजन का श्रेष्ठ दिवस माना गया है। शास्त्रों में इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त कहा गया है, जो विद्या, बुद्धि और रचनात्मकता के लिए उत्तम है। इस दिन स्नान करने से सात्विक चेतना का जागरण होता है।
कुल मिलाकर, जनवरी का महीना श्रद्धालुओं के लिए आस्था, साधना और पुण्य अर्जन का विशेष अवसर लेकर आया है। काशी और अन्य तीर्थों में स्नान-दान कर भक्त अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर सकते हैं।
