नाम बदलकर 13 साल से फरार था माओवादी लीडर सीताराम, वाराणसी में ATS ने ऐसे पकड़ा
वाराणसी। उत्तर प्रदेश एटीएस ने बड़ी सफलता हासिल करते हुए सीपीआई (माओवादी) के कुख्यात और प्रमुख सदस्य सीताराम उर्फ विनय जी उर्फ ओमप्रकाश को वाराणसी के काशी रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया है। एटीएस के मुताबिक, सीताराम पिछले करीब 13 वर्षों से फरार चल रहा था और उस पर 50 हजार रुपये का इनाम घोषित था। उसकी गिरफ्तारी को माओवादी नेटवर्क के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
एटीएस अधिकारियों ने बताया कि सीताराम कई गंभीर नक्सली घटनाओं में शामिल रहा है, जिनमें हत्या जैसे जघन्य अपराध भी शामिल हैं। वह वर्ष 1990 में सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति में जोनल सचिव बना था और संगठन के रणनीतिक फैसलों में उसकी अहम भूमिका रही। 21 सितंबर 2004 को एमसीसी और पीडब्ल्यूजी के विलय के बाद बनी सीपीआई (माओवादी) की अहम बैठक में भी उसकी सक्रिय भागीदारी रही थी।
सीताराम मूल रूप से रामियारी गांव का निवासी है। उसने वर्ष 1986 में घर छोड़कर माओवादी गतिविधियों में कदम रखा था। एटीएस के अनुसार, वह शहरी इलाकों में ओवर ग्राउंड वर्कर्स (ओजीडब्ल्यू) का नेटवर्क मजबूत करने में भी सक्रिय था। गिरफ्तारी से पहले वह अलग-अलग राज्यों में नाम बदलकर रह रहा था और लंबे समय तक सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचता रहा।
खुफिया सूचना मिलने के बाद एटीएस ने भौतिक और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के जरिए उसकी गतिविधियों पर नजर रखी और उसे ट्रैक किया। गिरफ्तारी के वक्त वह अपने साथियों के साथ एक बैठक में शामिल था, जहां से नक्सली विचारधारा से जुड़ी सामग्री और अवैध असलहा भी बरामद किया गया है।
एटीएस ने बताया कि वर्ष 2012 में बलिया के सहतिवार थाना क्षेत्र में ग्राम प्रधान की पत्नी फूलमती की हत्या की साजिश रचने और उसमें अहम भूमिका निभाने का भी सीताराम पर आरोप है। इसके अलावा उसके खिलाफ हत्या, बैंक डकैती, मारपीट और अवैध असलहा रखने जैसे कई गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। अब एटीएस उससे पूछताछ कर माओवादी नेटवर्क से जुड़े अन्य अहम सुराग जुटाने में लगी है।
