संपूर्णानंद विश्वविद्यालय में नियुक्तियों पर विवाद बढ़ा, कुलपति पर फर्जी भर्ती और धन उगाही के आरोप
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में विषय विशेषज्ञों की कथित अवैध नियुक्ति, वित्तीय अनियमितता और पद के दुरुपयोग के आरोपों पर विवाद बढ़ गया है। शिकायत के बाद राजभवन ने कुलपति से 25 नवंबर तक बिंदुवार साक्ष्यों सहित जवाब मांगा है, अन्यथा 28 नवंबर को कुलसचिव को तलब किया जाएगा।
वाराणसी: संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में नियम विरुद्ध विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति, वित्तीय अनियमितताओं और पद के दुरुपयोग के आरोपों ने बड़ा विवाद खड़ा कर दिया है। संस्कृत शिक्षक समिति, उत्तर प्रदेश के प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. गणेश गिरि द्वारा की गई शिकायत पर राजभवन ने कुलपति को निर्देश दिया है कि 25 नवंबर तक परिनियम के अनुसार बिंदुवार साक्ष्यों सहित जवाब प्रस्तुत किया जाए। समय पर जवाब न मिलने पर 28 नवंबर को कुलसचिव को राजभवन तलब किया जाएगा।
शिकायत में आरोप लगाया गया है कि कुलपति अपने निजी सचिव और कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर शासनादेश और परिनियमों की अनदेखी करते हुए विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति जारी कर रहे हैं।
आरोप है कि 19 सितंबर 2025 से शासन की रोक के बावजूद 24 अक्टूबर तक विशेषज्ञों के पैनल जारी किए गए, जिससे धन उगाही की आशंका जताई गई है। यह भी दावा किया गया है कि कुलपति का निजी सचिव 21 वर्षों से कार्यालय में कार्यरत है और योग्यता न होने के बाद भी निजी सचिव पद पर तैनात है।
वहीं कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा ने इन आरोपों को पूरी तरह निराधार बताया। उनका कहना है कि विश्वविद्यालय के सभी कार्य नियमानुसार होते हैं और पूरे मामले में किसी भी तरह की अनियमितता नहीं पाई गई है। उन्होंने बताया कि संबंधित विभाग से रिपोर्ट प्राप्त कर ली गई है और जवाब शीघ्र ही राजभवन भेजा जाएगा।
