PM Modi के संसदीय क्षेत्र काशी में अब चलेगी देश की पहली हाइड्रोजन वॉटर-टैक्सी, केंद्रीय मंत्री ने किया शुभारंभ
वाराणसी। देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी ने स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया है। गुरुवार को नमो घाट से भारत की पहली स्वदेशी हाइड्रोजन वाटर टैक्सी का शुभारंभ किया गया। केंद्रीय जल परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने हरी झंडी दिखाकर इस अनोखी और पर्यावरण-अनुकूल सेवा की शुरुआत की। इसके साथ ही वाराणसी देश का पहला शहर बन गया है, जहां गंगा नदी में हाइड्रोजन से चलने वाली वाटर टैक्सी संचालित होगी।
नमो घाट से रविदास घाट तक चलेगी वाटर टैक्सी
वाटर टैक्सी का संचालन भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) के तहत जलसा क्रूज लाइन करेगी। यह सेवा फिलहाल नमो घाट से रविदास घाट के बीच चलाई जा रही है। बाद में इसे असि घाट से मार्कण्डेय धाम तक विस्तारित किया जाएगा। अभी यह टैक्सी दिनभर में करीब सात फेरे लगाएगी।
पर्यटन को मिलेगा नया आयाम
उद्घाटन के दौरान केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा कि काशी में यह नई सुविधा पर्यटन को नई दिशा देगी। उन्होंने कहा, हाइड्रोजन से चलने वाली वाटर टैक्सी काशी के पर्यटन विकास में मील का पत्थर साबित होगी। स्वच्छ ऊर्जा का यह मॉडल पूरे देश के लिए उदाहरण बनेगा।”
शुभारंभ कार्यक्रम में यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री दयाशंकर सिंह, राज्य मंत्री दयाशंकर मिश्रा ‘दयालु’, विधायक रविंद्र जायसवाल, महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री कृपाशंकर सिंह समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
एक वाटर टैक्सी में 50 यात्रियों की क्षमता
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, एक हाइड्रोजन वाटर टैक्सी में 50 यात्री एक साथ यात्रा कर सकेंगे। लगभग 500 रुपये किराए में पर्यटकों को बनारसी स्वाद, घाटों की संस्कृति और विरासत का करीब से अनुभव मिलेगा।
हाइड्रोजन वाटर टैक्सी की खासियतें
संचालन एजेंसी के निदेशक आशीष चावला के अनुसार—
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वाटर टैक्सी हर डेढ़ से दो घंटे में एक फेरा लगाएगी।
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यह पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से बनी है और कोच्चि शिपयार्ड में तैयार की गई है।
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हाइड्रोजन की आपूर्ति बेंगलुरु की कंपनी द्वारा की जाएगी।
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नमो घाट और असि घाट पर हाइड्रोजन पंपिंग स्टेशन तैयार किए गए हैं।
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टैक्सी में लगी दो डिजिटल स्क्रीन पर यात्री गंगा और काशी की जानकारी देख सकेंगे।
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यह जलयान वायु और ध्वनि प्रदूषण मुक्त है, जिससे सफर और भी शांत और सुरक्षित होगा।
देशभर में शुरू होगा मॉडल, काशी बना पायलट प्रोजेक्ट
आईडब्ल्यूएआई वाराणसी के निदेशक संजीव कुमार ने बताया कि काशी में यह सेवा पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई है। हाइड्रोजन ऊर्जा से चलने वाली यह टैक्सी सामान्य इंजनों की तुलना में कम समय में अधिक दूरी तय करती है और ईंधन की बचत भी करती है।
सफल ट्रायल के बाद इस मॉडल को देश के अन्य शहरों में भी लागू किया जाएगा।
हाइड्रोजन टैक्सी में इलेक्ट्रिक इंजन का विकल्प भी मौजूद है, ताकि हाइड्रोजन खत्म होने या तकनीकी समस्या की स्थिति में संचालन प्रभावित न हो।
कैसे काम करता है हाइड्रोजन इंजन?
यह आधुनिक शिप 50 किलोवाट की फ्यूल सेल तकनीक से चलता है—
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हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के संयोजन से बिजली बनती है
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इससे कोई धुआँ नहीं निकलता और शून्य प्रदूषण होता है
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इसे कार, बस और अन्य वाहनों में भी इस्तेमाल किया जाता है
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क्रूज का ढांचा मेट्रो कोच की तरह मजबूत और हल्के प्लास्टिक से बना है
ग्रीन हाइड्रोजन क्या है?
ग्रीन हाइड्रोजन पूरी तरह पर्यावरण-अनुकूल ईंधन है। इसे पानी से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन अलग करके बनाया जाता है। इस प्रक्रिया में इलेक्ट्रोलाइजर का उपयोग होता है, जो सोलर या विंड जैसी नवीकरणीय ऊर्जा से चलता है। यह परिवहन, आयरन, केमिकल उद्योग समेत कई क्षेत्रों में उपयोगी है।
हाइड्रोजन प्लांट की तैयारी
इंडियन वॉटरवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IWAI) रामनगर मल्टीमॉडल टर्मिनल पर अस्थायी हाइड्रोजन प्लांट स्थापित कर रही है। रोजाना लगभग 1500 किलो हाइड्रोजन उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। भविष्य में तीन स्थायी हाइड्रोजन प्लांट भी लगाए जाएंगे। क्रूज संचालन के लिए हाइड्रोजन सिलेंडर राल्हूपुर टर्मिनल से जलयान तक पहुंचाए जाएंगे।
IWAI के मुख्य अभियंता विजय कुमार दियालानी ने बताया कि शुरुआती चरण में हाइड्रोजन की व्यवस्था कोच्चि शिपयार्ड करेगा। बाद में स्थायी व्यवस्था के लिए बड़ी कंपनियों से बातचीत जारी है।
