वाराणसी: केबल ऑपरेटर हत्याकांड में 13 साल बाद पांच दोषियों को उम्रकैद, दो बरी
वाराणसी के 13 साल पुराने केबल ऑपरेटर पुष्कर शुक्ला हत्याकांड में अदालत ने पाँच आरोपितों को उम्रकैद और जुर्माना सुनाया, जबकि साक्ष्य न मिलने पर दो को बरी कर दिया। मुख्य गवाह और मृतक के भाई के बयान बदलने पर उसे पक्षद्रोही घोषित किया गया। घटना 2012 में केबल विवाद से जुड़ी थी।
वाराणसी: वाराणसी के चर्चित केबल ऑपरेटर पुष्कर शुक्ला हत्याकांड में 13 साल बाद बड़ा फैसला आया है। विशेष न्यायाधीश द्वितीय (पॉक्सो एक्ट) नितिन पांडेय की अदालत ने शनिवार को मामले के पाँच दोषियों-बंटी सिंह उर्फ राज उर्फ संजय, पिंटू उर्फ दिलीप सिंह, विक्रम प्रताप सिंह उर्फ गोलू, भानू केसरी उर्फ गोलू और तेज नारायण सिंह उर्फ सल्टू—को आजीवन कारावास और 15-15 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिलने पर दो आरोपितों- धर्मेंद्र कुमार सिंह उर्फ दीनू और राहुल श्रीवास्तव को बरी कर दिया। वहीं, मुख्य गवाह अभिषेक शुक्ला के बयान बदलने पर उसे पक्षद्रोही मानते हुए उसके खिलाफ प्रकीर्णवाद दर्ज करने का आदेश दिया गया।
केबल नेटवर्क विस्तार को लेकर बढ़ा था विवाद
अभियोजन के अनुसार पुष्कर शुक्ला शिवपुर क्षेत्र में ‘साई राम विज़न’ के नाम से सिटी केबल चलाते थे। डेन काशी केबल समूह अपने नेटवर्क का विस्तार करना चाहता था, जिससे विवाद गहरा गया। 16 दिसंबर 2012 को आरोपितों ने पुष्कर के लगाए केबल तारों को जंक्शन से काटना शुरू कर दिया। इसकी सूचना मिलते ही पुष्कर अपने भाई अभिषेक शुक्ला और अन्य लोगों के साथ मौके पर पहुंचे और विरोध किया।
लाठी-डंडों से हमला, मौके पर मौत
विरोध करने पर आरोपियों ने लाठी-डंडों, क्रिकेट बैट और स्टम्प से पुष्कर और उनके साथियों पर हमला कर दिया। हमले में पुष्कर ने मौके पर ही दम तोड़ दिया, जबकि अभिषेक सहित तीन लोग गंभीर रूप से घायल हुए। भाई अभिषेक शुक्ला ने शिवपुर थाने में मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने सभी आरोपितों को गिरफ्तार कर उनकी निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त हथियार भी बरामद किए।
गवाह ने बदला बयान, दो आरोपी हुए बरी
सुनवाई के दौरान 19 गवाहों के बयान दर्ज हुए। लेकिन सबसे अहम गवाह और मृतक के भाई अभिषेक शुक्ला ने अदालत में बयान बदल दिया। उन्होंने कहा कि लोगों के कहने पर धर्मेंद्र सिंह और राहुल श्रीवास्तव के नाम तहरीर में लिख दिए थे, जबकि वे घटना स्थल पर मौजूद नहीं थे। गवाह के पलटने और साक्ष्य की कमी के आधार पर अदालत ने दोनों को बरी कर दिया।
फैसले के बाद आजीवन कारावास
सभी गुहरों और साक्ष्यों पर विचार करने के बाद अदालत ने पाँच आरोपितों को हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
