वाराणसी कफ सिरप मामला: 26 दवा फर्मों पर मुकदमा दर्ज, 82 कारोबारी अभी रडार पर
वाराणसी: शहर में नकली और अवैध दवाओं के कारोबार पर प्रशासन अब सख्त होता नजर आ रहा है। जिला खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग ने जांच के दौरान 108 संदिग्ध फर्मों की पहचान की है, जिनमें से 82 पर जल्द ही बड़ी कार्रवाई हो सकती है। फिलहाल विभाग केवल 26 फर्मों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर पाया है, जांच की गति और तेज की जा रही है।
दवा तस्करी की इस कड़ी का खुलासा एसआईटी के गठन के बाद हुआ, जब कफ सिरप की बड़े पैमाने पर तस्करी में मुख्य आरोपी कायस्थान प्रह्लाद घाट निवासी शुभम जायसवाल के नेटवर्क की जांच तेज की गई। खुफिया एजेंसियां अब उसके व्यापारिक संपर्कों, जानकारों और करीबी सहयोगियों की गहनता से जानकारी खंगाल रही हैं, जिसकी वजह से कार्रवाई थोड़ी धीमी जरूर है, लेकिन विभाग ने संकेत दिया है कि जल्द ही कई फर्मों पर एक साथ शिकंजा कसा जाएगा।
ड्रग इंस्पेक्टर जुनाब अली ने बताया कि जुलाई से शुरू हुई कार्रवाई में कई गोदामों से लाखों रुपये की एक्सपायरी दवाएं बरामद की गई हैं। जांच में सामने आया कि कुछ कारोबारी पुरानी एक्सपायरी दवाओं पर नया लेबल चिपकाकर उन्हें बाजार में सप्लाई कर रहे थे, जबकि कुछ फर्म बिना वैध लाइसेंस के वर्षों से संचालित हो रही थीं।
संदिग्ध फर्में सप्तसागर मंडी, लोहता, सेवापुरी, चोलापुर सहित शहर के कई प्रमुख इलाकों में पाई गई हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से कई कारोबारी पहले भी नकली दवा से जुड़े मामलों में शामिल रह चुके हैं। अधिकारियों का कहना है कि यह नेटवर्क बड़ा है और इसके तार आस-पास के जिलों से भी जुड़े हुए हैं।
अभियान को और मजबूत करने के लिए लखनऊ से अतिरिक्त ड्रग निरीक्षक भी बुलाए गए हैं। विभाग ने चेतावनी दी है कि किसी भी मेडिकल स्टोर पर नकली या संदिग्ध दवा मिलने पर उसका लाइसेंस तत्काल रद्द कर दिया जाएगा।
उधर एसआईटी ने दवा कारोबारियों से जुड़े परिचितों, दोस्तों और चार्टर्ड अकाउंटेंट से भी पूछताछ शुरू कर दी है। जांच का अंतिम परिणाम 25 नवंबर की बैठक में सामने आने की उम्मीद है। फिलहाल पूरा मामला उच्चस्तरीय निगरानी में है और विभाग तेजी से तथ्यों की पड़ताल कर रहा है।
