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खत्म होने वाला है इंतजार! 800 KG सैंड बैग से वाराणसी रोपवे का लोड टेस्ट, मई 2026 में शुरू होगा संचालन

वाराणसी में देश की पहली अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे परियोजना मई 2026 तक शुरू होने की तैयारी में है। 800 किलो सैंड बैग से लोड टेस्ट जारी है। विदेशी विशेषज्ञों की निगरानी में सुरक्षा जांच होगी। रोपवे से ट्रैफिक कम होगा और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

 
वाराणसी रोपवे का लोड टेस्ट
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वाराणसी: देश की पहली अर्बन ट्रांसपोर्ट रोपवे परियोजना को मई 2026 तक जनता के लिए खोलने की तैयारी तेज़ हो गई है। नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक मैनेजमेंट लिमिटेड (NHLML) इस महत्वाकांक्षी परियोजना को अंतिम चरण में पहुंचाने में जुटा है। तीन दिन पहले पहले चरण का लोड टेस्ट शुरू कर दिया गया है, जिसमें 800 किलोग्राम के सैंड बैग से भार परीक्षण किया जा रहा है।

अधिकारियों के अनुसार, रोपवे का यह भार परीक्षण छह मीटर प्रति सेकंड की अधिकतम गति पर 25 जनवरी तक चलेगा। इसके बाद स्विट्ज़रलैंड और ऑस्ट्रिया के विशेषज्ञों की निगरानी में पांच से छह चरणों में सुरक्षा मानकों के अनुसार गहन टेस्टिंग की जाएगी।

दूसरे चरण में पूरे कॉरिडोर का होगा लोड टेस्ट

दूसरे चरण का भार परीक्षण रथयात्रा से गोदौलिया (दूसरा फेज) तक निर्माण पूरा होने के बाद शुरू होगा। अंतिम चरण में कैंट, विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजाघर और गोदौलिया तक पूरे रोपवे कॉरिडोर को शामिल किया जाएगा।

निर्माण एजेंसी विश्वसमुद्र को मार्च 2026 तक गोदौलिया स्टेशन तैयार करने का लक्ष्य दिया गया है। वहीं, अप्रैल के पहले सप्ताह तक रथयात्रा से गोदौलिया (एक किलोमीटर) तक रोप पुलिंग शुरू कर दी जाएगी। अब तक 10 में से 8 टावर लगाए जा चुके हैं।

एयरपोर्ट जैसी सुरक्षा, हाईटेक कंट्रोल सिस्टम

फिलहाल ड्राइव स्टेशनों पर इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सिस्टम का परीक्षण चल रहा है। सिस्टम से होने वाली आवाज को नियंत्रित करने, ब्रेकिंग सिस्टम को बेहतर करने और केबिन हिंज के संतुलन को दुरुस्त किया जा रहा है। सभी बाईपास सिस्टम को मुख्य कंट्रोल सिस्टम से जोड़ा जा रहा है।

रोपवे स्टेशनों की सुरक्षा व्यवस्था एयरपोर्ट की तर्ज पर होगी। राज्य सुरक्षा बल की तैनाती के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। उन्नत कंट्रोल रूम से 24 घंटे निगरानी की जाएगी। आपात स्थिति में गोंडोला स्वचालित रूप से नजदीकी स्टेशन तक पहुंचेगा। सहायक मोटर, जनरेटर, प्रशिक्षित रेस्क्यू टीम और क्रेन से बचाव की भी व्यवस्था रहेगी।

किफायती किराया और रोजगार के नए अवसर

हालांकि किराया अभी तय नहीं हुआ है, लेकिन कैंट से गोदौलिया तक का संभावित किराया करीब 50 रुपये हो सकता है। यात्रियों की सुविधा के लिए रोपवे स्टेशनों को केवल ट्रांजिट प्वाइंट नहीं, बल्कि मल्टी-स्टोरी कॉमर्शियल स्पेस, बजट होटल और ऑफिस स्पेस के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। करीब दो लाख वर्ग फीट क्षेत्र में निर्माण किया गया है, जिससे रोजगार और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।


रोपवे परियोजना के प्रमुख फायदे
•    श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर और दशाश्वमेध घाट तक आसान और तेज़ पहुंच
•    श्रद्धालुओं और पर्यटकों के समय व धन की बचत
•    शहर के ट्रैफिक दबाव में कमी
•    सार्वजनिक परिवहन के नए और टिकाऊ मॉडल की शुरुआत

वाराणसी की यह रोपवे परियोजना न केवल शहर की यातायात व्यवस्था को नई दिशा देगी, बल्कि देश के अन्य महानगरों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकती है।