वाराणसी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी स्थित संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में संस्कृत छात्रवृत्ति योजना का शुभारंभ करते हुए ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष से अपने संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति का आभार जताते हुए कहा कि यह आयोजन संस्कृत और भारतीय संस्कृति के उत्थान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने संस्कृत भाषा की महत्ता को समझने और उसे आत्मसात करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि इसकी ऊर्जा का अनुभव इस समारोह के मंगलाचरण और स्वस्तिवाचन में किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री योगी ने घोषणा की कि इस पहल के तहत 69,195 छात्रों को 586 लाख रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है। उन्होंने इसे संस्कृत शिक्षा को प्रोत्साहन देने की दिशा में एक बड़ा कदम बताया और इसके प्रभावी क्रियान्वयन की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही उन्होंने काशीवासियों को आगामी त्योहारों की शुभकामनाएं भी दीं।
संस्कृत परिषद को मान्यता के लिए भाजपा सरकार का योगदान: मुख्यमंत्री योग
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि संस्कृत छात्रों को छात्रवृत्ति देना एक सराहनीय कदम है, लेकिन पहले संस्कृत के छात्रों के लिए ऐसी कोई सुविधा नहीं थी। उन्होंने 2001 में स्थापित संस्कृत परिषद को मान्यता दिलाने की प्रक्रिया को 2017 में पूरा करने का श्रेय अपनी सरकार को दिया। मुख्यमंत्री ने यह भी घोषणा की कि संस्कृत के छात्रों के लिए अब छात्रवृत्ति में आयु सीमा नहीं होगी और उन्हें सभी स्तरों पर छात्रवृत्ति की सुविधा दी जाएगी।
नि:शुल्क छात्रावास और भोजन की सुविधा वाले संस्थानों को मिलेगी मान्यता: सीएम योगी
मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत शिक्षा संस्थानों को मान्यता तभी दी जाएगी, जब वे छात्रों के लिए नि:शुल्क छात्रावास और भोजन की सुविधा प्रदान करेंगे। उन्होंने इसे गुरुकुल परंपरा को पुनर्जीवित करने और भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास बताया।
महर्षि अरविंद को याद करते हुए संस्कृत के महत्व पर विचार
संस्कृत भाषा की प्रासंगिकता पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आधुनिक तकनीक भी संस्कृत को एक सरल और प्रभावशाली भाषा मानती है। उन्होंने संस्कृत में शोध को प्रोत्साहन देने और वैदिक विज्ञान केंद्र की स्थापना का भी जिक्र किया। साथ ही, उन्होंने महर्षि अरविंद को याद किया, जिन्होंने भारतीय संस्कृति और संस्कृत भाषा के प्रचार में अभूतपूर्व योगदान दिया।
पुरानी पांडुलिपियों और ताम्रपत्रों का संरक्षण आवश्यक
मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय में संरक्षित 75,000 से अधिक पांडुलिपियों का उल्लेख किया और कहा कि प्राचीन ताम्रपत्रों और पांडुलिपियों का संरक्षण महत्वपूर्ण है, जिसमें सरकार का पूर्ण सहयोग रहेगा। अपने संबोधन के अंत में मुख्यमंत्री ने सभी को त्योहारों की बधाई दी और बाबा विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा तथा मां गंगा से संस्कृत के विकास की कामना की।