Varanasi : पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर कथित अत्याचारों और संप्रदाय विशेष द्वारा हो रही हिंसा के विरोध में(District Court) शुक्रवार को वाराणसी में दी सेंट्रल बार एसोसिएशन(The Central Bar Association) के अधिवक्ताओं ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया।

वकीलों ने कहा कि बंगाल में लगातार हिंदू समुदाय पर हमले हो रहे हैं और यह स्थिति संविधान की मूल आत्मा और धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ है। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार की चुप्पी हिंसा को बढ़ावा दे रही है और इस पर इंडिया गठबंधन की चुप्पी भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
अधिवक्ताओं ने कहा कि इंडिया गठबंधन(india alliance)लोकसभा चुनाव में संविधान की रक्षा की बात करता रहा, लेकिन बंगाल में जो घटनाएं हो रही हैं, वे संविधान की खुलेआम अवहेलना हैं। उन्होंने कहा कि अभी तक किसी भी विपक्षी नेता ने ममता बनर्जी पर टिप्पणी नहीं की, जो इस चुप्पी को संदिग्ध बनाता है।

प्रदर्शनकारी अधिवक्ताओं का कहना था कि ममता बनर्जी के शासन में बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं को संरक्षण मिल रहा है, जिससे प्रदेश की सांप्रदायिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। उन्होंने केंद्र सरकार से बंगाल में अविलंब राष्ट्रपति शासन(Immediate President’s Rule) लागू करने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि हालात नहीं सुधरे तो हिंदू समाज में व्यापक असंतोष उत्पन्न हो सकता है, जिसकी प्रतिक्रिया देशव्यापी स्तर पर देखी जा सकती है। उन्होंने कहा कि बंगाल के हालात यदि बेकाबू हुए तो यह भारत के लिए बांग्लादेश जैसा संकट पैदा कर सकता है।

बार एसोसिएशन परिसर में हुए इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में अधिवक्ता शामिल हुए। उन्होंने नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पुतला फूंका और ‘हिंदुओं पर अत्याचार बंद करो’, ‘राष्ट्रपति शासन लागू करो’ जैसे नारे लगाए।