Movie prime

BrahMos Missile : भारत का मिसाइल हब बना लखनऊ, मेक इन इंडिया से आगे, अब मेक फॉर द वर्ल्ड की उड़ान!

BrahMos Missile: लखनऊ से बनी पहली ब्रह्मोस मिसाइल खेप ने आत्मनिर्भर भारत को नई उड़ान दी। यूपी रक्षा गलियारे की यह सफलता भारत को रक्षा उत्पादन में वैश्विक नेतृत्व की ओर ले जा रही है। ब्रह्मोस मिसाइल ‘मेक इन इंडिया’ का चमकता प्रतीक बन चुकी है।

 
BrahMos Missile
WhatsApp Channel Join Now
Instagram Profile Join Now

BrahMosMissile: भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता के सफर में लखनऊ की धरती ने इतिहास रच दिया है। शनिवार का दिन भारत के लिए सिर्फ एक तकनीकी उपलब्धि नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत के संकल्प का सजीव प्रतीक बन गया, जब रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सरोजिनी नगर स्थित ब्रह्मोस एयरोस्पेस यूनिट से निर्मित पहले बैच की ब्रह्मोस मिसाइलों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। यह क्षण सिर्फ मिसाइल के उड़ान भरने का नहीं था बल्कि भारत के रक्षा उत्पादन क्षेत्र के आत्मनिर्भर होने की उड़ान का था। यह वही धरती है, जहां कभी उद्योग और तकनीक की बात दूर लगती थी, आज वही जमीन ‘मेक इन इंडिया, मेक फॉर द वर्ल्ड’ की गूंज से भर उठी है।

भारत की सुपरसोनिक पहचान: BrahMos की ताकत

ब्रह्मोस मिसाइल का नाम आज वैश्विक रक्षा मानचित्र (global defense map) पर एक गर्व का प्रतीक है। यह DRDO और रूस की NPO Mashinostroyeniya की संयुक्त परियोजना है, जो सुपरसोनिक गति (Mach 2.8 से 3.0) पर उड़ने में सक्षम है। यह मिसाइल न केवल अत्यधिक सटीकता से लक्ष्य भेदती है बल्कि दुश्मन के रडार से बच निकलने में भी सक्षम है।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान ब्रह्मोस ने अपने पराक्रम का परिचय देते हुए पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तब कहा था, 'दुनिया ने देखा कि हमारे स्वदेशी हथियारों में कितनी क्षमता है। खासकर ब्रह्मोस मिसाइल ने आत्मनिर्भर भारत की शक्ति को सिद्ध किया है।'

लखनऊ की यूनिट: मेक इन इंडिया का असली चेहरा

लखनऊ की सरोजिनी नगर स्थित ब्रह्मोस इंटीग्रेशन और टेस्टिंग यूनिट की शुरुआत इसी साल 11 मई को हुई थी। सिर्फ पांच महीने के अंदर यहां से मिसाइल उत्पादन की पहली खेप तैयार होना, अपने आप में एक तकनीकी चमत्कार है। यह सुविधा आधुनिक इंटीग्रेशन, टेस्टिंग और क्वालिटी एश्योरेंस तकनीकों से लैस है।

उत्तर प्रदेश- भारत का नया रक्षा मैन्युफैक्चरिंग हब

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस ऐतिहासिक अवसर पर कहा, लखनऊ की ज़मीन अब सोना उगल रही है। हर साल यहां 100 से 150 ब्रह्मोस मिसाइलें बनेंगी, जिससे राज्य को 200 करोड़ रुपये तक का जीएसटी राजस्व मिलेगा।'

योगी ने बताया कि डीआरडीओ की जरूरतों के अनुसार सरकार अतिरिक्त भूमि भी उपलब्ध कराएगी। यह कदम उत्तर प्रदेश को भारत के सबसे प्रमुख रक्षा उत्पादन केंद्रों में शामिल करने की दिशा में मील का पत्थर है। इस परियोजना से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों रोजगार के अवसर बनेंगे। स्थानीय MSMEs, टेक्निकल कॉलेजों और स्टार्टअप्स को भी इसमें बड़ी भूमिका निभाने का मौका मिलेगा।

भारत अब उपभोक्ता नहीं, रक्षा उत्पादक राष्ट्र

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने स्पष्ट शब्दों में कहा, भारत अब केवल हथियारों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि दुनिया के लिए एक भरोसेमंद प्रदाता बन चुका है। भारत ने फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइल एक्सपोर्ट कर पहले ही अपनी वैश्विक उपस्थिति दर्ज कराई है। हाल ही में दो और देशों के साथ लगभग ₹4,000 करोड़ के अनुबंध किए गए हैं। यह दिखाता है कि भारत अब ‘मेक इन इंडिया’ से आगे बढ़कर ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की ओर बढ़ चुका है।

ऑपरेशन सिंदूर’ और ब्रह्मोस की सटीकता

पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, तब ब्रह्मोस को मुख्य हथियार के रूप में चुना गया। चार दिन तक चले इस अभियान में ब्रह्मोस मिसाइलों ने पाकिस्तान के अंदर कई आतंकी ठिकानों को सटीकता से नष्ट किया। यह सफलता बताती है कि भारत की रक्षा तकनीक अब केवल आयात पर निर्भर नहीं, बल्कि खुद नवाचार और उत्पादन में सक्षम है।

रोजगार, निवेश और आत्मविश्वास का तिहरा लाभ

इस परियोजना का सबसे बड़ा सामाजिक प्रभाव रोजगार सृजन में देखने को मिलेगा। लखनऊ यूनिट में 500 से अधिक कुशल इंजीनियर, टेक्नीशियन और विशेषज्ञ प्रत्यक्ष रूप से काम कर रहे हैं, जबकि सैकड़ों स्थानीय MSMEs अप्रत्यक्ष रूप से इस सप्लाई चेन का हिस्सा बन चुके हैं।

राज्य सरकार के अनुसार आने वाले सालों में यह संख्या 5,000 से अधिक तक पहुंच सकती है। यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के अन्य नोड्स - झांसी, अलीगढ़, चित्रकूट और कानपुर में भी इसी तरह की यूनिटें बन रही हैं। यह भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता को केवल केंद्र तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि हर राज्य में नई औद्योगिक क्रांति को जन्म देगा।

इससे बड़ा धनतेरस क्या होगा?

राजनाथ सिंह ने कहा, आज हम धनतेरस मना रहे हैं और इसी शुभ अवसर पर चार ब्रह्मोस मिसाइलों की डिलीवरी हो रही है। सोचिए, इससे बड़ा धनतेरस देश के लिए और क्या हो सकता है! उन्होंने कहा कि यह सिर्फ रक्षा की नहीं, बल्कि अर्थव्यवस्था की भी समृद्धि का प्रतीक है। क्योंकि जब भारत अपने हथियार खुद बनाता है, तो विदेशी मुद्रा बचती है और देश में ही रोजगार बढ़ते हैं।

उत्तर प्रदेश का गौरव, भारत की नई पहचान

लखनऊ की ब्रह्मोस यूनिट ने यह सिद्ध कर दिया कि उत्तर प्रदेश केवल खेती और संस्कृति का राज्य नहीं, बल्कि तकनीकी और औद्योगिक नवाचार का केंद्र भी बन सकता है। इसने दिखा दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'डिफेंस कॉरिडोर इन यूपी' विज़न अब साकार रूप ले चुका है।

आत्मनिर्भर भारत की असली मिसाइल — BrahMos

लखनऊ से ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप रवाना हुई, तो यह सिर्फ एक तकनीकी घटना नहीं थी। यह भारत के आत्मविश्वास, नवाचार और संकल्प की मिसाइल थी। इस मिसाइल ने साबित किया कि भारत अब केवल रक्षा की ज़रूरतें पूरी करने वाला देश नहीं, बल्कि दुनिया को सुरक्षा देने वाला राष्ट्र बन चुका है। ब्रह्मोस की यह उड़ान आत्मनिर्भर भारत की दिशा में वह ऐतिहासिक क्षण है, जिसने दिखा दिया कि अब भारत केवल उड़ान नहीं भरता, बल्कि दुनिया को दिशा भी दिखाता है।