शाहजहांपुर I शाहजहांपुर में होली के अवसर पर निकलने वाले ऐतिहासिक लाट साहब के जुलूस को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं। पुलिस प्रशासन सुरक्षा को लेकर पूरी तरह सतर्क है और संभ्रांत लोगों के साथ पीस कमेटी की बैठक कर रहा है। कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए चौक कोतवाली में 980 लोगों की चालानी रिपोर्ट तैयार कर उच्च अधिकारियों को भेजी गई है, जिनके खिलाफ पुलिस कार्रवाई कर सकती है।
एडीजी जोन रमित शर्मा ने रविवार शाम पुलिस लाइन पहुंचकर तैयारियों की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि सुरक्षा व्यवस्था में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए। इसके तहत संवेदनशील और अति संवेदनशील स्थानों की पहचान की गई और वहां विशेष सतर्कता बरतने के आदेश दिए गए।
जुलूस मार्ग पर सौहार्द बनाए रखने के लिए वहां स्थित धार्मिक स्थलों को तिरपाल से ढका जा रहा है। इसी क्रम में पूरे जुलूस मार्ग पर बैरिकेडिंग का काम भी शुरू हो गया है। ईदगाह कमेटी के सचिव सैयद कासिम रजा ने मांग की है कि केवल जुलूस मार्ग पर आने वाले धार्मिक स्थलों को ही ढका जाए, जबकि जो स्थल रूट पर नहीं हैं, उन्हें न ढका जाए।
उधर, बड़े लाट साहब जुलूस के आयोजक संजय वर्मा ने बताया कि जुलूस को लेकर तैयारियां तेजी से चल रही हैं, जिसमें प्रशासन और आयोजक मिलकर सहयोग कर रहे हैं।
रविवार को एडीजी ने पुलिस लाइन के सभागार में बैठक कर जुलूस से जुड़ी सुरक्षा तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने इस दौरान गत वर्ष की स्थिति का भी जायजा लिया और जरूरी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि होली के मौके पर निकलने वाले सभी जुलूसों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और किसी भी तरह की चूक नहीं होनी चाहिए।
लाट साहब जुलूस क्यों मनाया जाता है?
लाट साहब जुलूस शाहजहांपुर की एक ऐतिहासिक परंपरा है, जिसे हर साल होली के दूसरे दिन धुलंडी पर निकाला जाता है। यह जुलूस 300 साल पुराना है और इसकी शुरुआत ब्रिटिश शासन के समय हुई थी। कहा जाता है कि जब अंग्रेजों ने होली पर भारतीयों को रंग खेलने से रोका था, तब स्थानीय लोगों ने उनके इस आदेश के खिलाफ लाट साहब का पुतला बनाकर जुलूस निकालना शुरू किया था।
इस जुलूस का उद्देश्य ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक प्रतीकात्मक विरोध था और यह समय के साथ एक धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा बन गया। आज के समय में, लाट साहब जुलूस शाहजहांपुर की पहचान बन चुका है, जिसमें विभिन्न धर्मों और समुदायों के लोग हिस्सा लेते हैं। जुलूस में लाट साहब को घोड़े पर बिठाकर पूरे शहर में घुमाया जाता है और साथ में बैंड-बाजा, ढोल-ताशा और पारंपरिक लोकगीतों की धूम मचती है। सुरक्षा व्यवस्था के तहत धार्मिक स्थलों को तिरपाल से ढक दिया जाता है और पुलिस प्रशासन पूरे जुलूस की निगरानी करता है। यह जुलूस न सिर्फ होली के उत्सव का हिस्सा है, बल्कि यह शाहजहांपुर की सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का प्रतीक भी है।