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बांग्लादेश हिंसा सुनियोजित साजिश का हिस्सा? एक और छात्र नेता को दिनदहाड़े मारी गोली

बांग्लादेश में चुनाव से पहले राजनीतिक हिंसा तेज हो गई है। छात्र नेता मोहम्मद मोतालेब सिकदार पर खुलना में गोलीबारी हुई, जबकि शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद हालात और बिगड़े हैं। हिंसा, अल्पसंख्यक विरोध और भारत-बांग्लादेश तनाव ने चिंता बढ़ा दी है।

 
बांग्लादेश हिंसा
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Bangladesh violence: संभलती नहीं दिख रही बांग्लादेश की राजनीति, जहां आम चुनाव से पहले हिंसा लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले वर्ष भारत विरोधी आंदोलनों से जुड़े छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या के बाद अब एक और छात्र नेता पर जानलेवा हमला किया गया है। अज्ञात हमलावरों ने सोमवार को खुलना शहर में नेशनल सिटिजन पार्टी (एनसीपी) के नेता मोहम्मद मोतालेब सिकदार को दिनदहाड़े सिर में गोली मार दी। गंभीर हालत में उन्हें खुलना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

एनसीपी की संयुक्त प्रधान समन्वयक महमूदा मितु ने सोशल मीडिया पर जानकारी देते हुए बताया कि मोतालेब सिकदार के सिर के बाएं हिस्से में गोली लगी है। पुलिस के अनुसार हमलावरों की पहचान अभी नहीं हो सकी है, लेकिन गिरफ्तारी के लिए तलाशी अभियान तेज कर दिया गया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह हमला चुनाव से पहले देश का माहौल बिगाड़ने की सुनियोजित साजिश का हिस्सा हो सकता है। इससे पहले इंकलाब मंच के प्रवक्ता और छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की ढाका में चुनाव प्रचार के दौरान गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इलाज के लिए सिंगापुर ले जाए जाने के बाद उनकी मौत हो गई थी।

हिंसा के बीच अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने राजधानी ढाका में कानून-व्यवस्था की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। बैठक में गृह मामलों के सलाहकार, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और खुफिया एजेंसियों के वरिष्ठ अधिकारी शामिल रहे। यूनुस ने स्पष्ट किया कि हिंसा फैलाने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने बताया कि हालिया घटनाओं से जुड़े 30 से अधिक संदिग्धों की पहचान कर ली गई है।

इसी बीच अल्पसंख्यक संगठनों ने ढाका में प्रदर्शन कर सरकार पर सुरक्षा देने में विफल रहने का आरोप लगाया। हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों ने हिंसा और हत्याओं के खिलाफ मानव श्रृंखला बनाकर विरोध दर्ज कराया।

बढ़ते तनाव का असर भारत-बांग्लादेश संबंधों पर भी दिखा है। बांग्लादेश ने नई दिल्ली और त्रिपुरा स्थित अपने मिशनों में वीजा सेवाएं अस्थायी रूप से निलंबित कर दी हैं। दोनों देशों के बीच बढ़ते राजनीतिक तनाव और विरोध प्रदर्शनों को इसके पीछे मुख्य वजह माना जा रहा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि समय रहते हालात पर काबू नहीं पाया गया, तो बांग्लादेश में आगामी चुनाव गंभीर अस्थिरता की भेंट चढ़ सकते हैं।