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व्हीलचेयर से अंतरिक्ष तक: मिशाइला बेन्थौस ने रचा इतिहास, बनीं अंतरिक्ष पहुंचने वाली पहली दिव्यांग महिला

 
व्हीलचेयर से अंतरिक्ष तक: मिशाइला बेन्थौस ने रचा इतिहास, बनीं अंतरिक्ष पहुंचने वाली पहली दिव्यांग महिला
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टेक्सास I जर्मनी की 33 वर्षीय एयरोस्पेस इंजीनियर मिशाइला 'मिची' बेन्थौस ने इतिहास रच दिया। वे दुनिया की पहली व्हीलचेयर यूजर बन गईं, जिन्होंने अंतरिक्ष की सीमा पार की। अमेजन फाउंडर जेफ बेजोस की कंपनी ब्लू ओरिजिन के न्यू शेपर्ड मिशन NS-37 के जरिए वे सबऑर्बिटल फ्लाइट पर गईं और कार्मन लाइन (लगभग 100 किमी ऊंचाई) को पार करते हुए अंतरिक्ष तक पहुंचीं।

यह मिशन ब्लू ओरिजिन का 37वां न्यू शेपर्ड फ्लाइट था और 16वां मानवयुक्त मिशन। करीब 10-11 मिनट की इस उड़ान में मिची और उनके पांच साथी क्रू मेंबर्स ने माइक्रोग्रैविटी का अनुभव किया। लैंडिंग के बाद मिची ने कहा, "यह अब तक का सबसे शानदार अनुभव था।"

मिची यूरोपीय स्पेस एजेंसी (ESA) में एयरोस्पेस और मेक्ट्रोनिक्स इंजीनियर हैं। वे नीदरलैंड्स के ESTEC सेंटर में मंगल ग्रह के वातावरण अध्ययन से जुड़े प्रोजेक्ट पर काम करती हैं। बचपन से स्टार वार्स जैसी फिल्मों से प्रेरित होकर वे अंतरिक्ष यात्री बनना चाहती थीं। उन्होंने ऑस्ट्रिया और जर्मनी की यूनिवर्सिटीज से इंजीनियरिंग में मास्टर्स किया।

2018 में माउंटेन बाइकिंग दुर्घटना में स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के कारण वे पैराप्लेजिक हो गईं और व्हीलचेयर पर निर्भर हैं। लेकिन हार नहीं मानी। 2021-22 में उन्होंने रिटायर्ड स्पेसएक्स इंजीनियर हांस कोएनिग्समैन से संपर्क किया, जिन्होंने उनकी दृढ़ता देखकर मदद की। हांस ने ही ब्लू ओरिजिन से संपर्क कर उनकी सीट स्पॉन्सर की और खुद भी उनके साथ उड़ान भरी।

इससे पहले मिची ने जीरो-ग्रैविटी फ्लाइट्स और पोलैंड में एनालॉग एस्ट्रोनॉट मिशन में हिस्सा लिया। ब्लू ओरिजिन ने कैप्सूल में मामूली बदलाव किए, जैसे ट्रांसफर बोर्ड, ताकि वे आसानी से सीट तक पहुंच सकें।

यह मिशन अंतरिक्ष यात्रा को अधिक समावेशी बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। मिची का कहना है कि उनकी उड़ान साबित करती है कि शारीरिक अक्षमता सपनों की राह में बाधा नहीं बननी चाहिए।