भारत-मंगोलिया की नई पार्टनरशिप से किसे होगा सबसे ज्यादा फायदा? 10 points में समझिए
India–Mongolia Partnership: भारत और मंगोलिया के बीच गहराते संबंध अब सिर्फ डिप्लोमैटिक फार्मेलिटी नहीं रह गए हैं, ये एशिया के भू-राजनीतिक (geopolitical) बैलेंस को नए सिरे से परिभाषित करने की दिशा में उठाया गया ठोस कदम हैं। जब चीन अपने पड़ोसियों को आर्थिक निवेश, सैन्य सहयोग और ऋण जाल के जरिए अपनी पकड़ में ले रहा है, तब भारत भी अब ‘काउंटर बैलेंस पॉलिसी’ के तहत मंगोलिया जैसे रणनीतिक देशों के साथ अपने रिश्ते को मज़बूत कर रहा है।
नई दिल्ली के हैदराबाद हाउस में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मंगोलिया के राष्ट्रपति खुरेलसूक उखना के बीच हुई बैठक इसी नीति की दिशा में ऐतिहासिक मानी जा रही है। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत में रक्षा, ऊर्जा, शिक्षा, डिजिटल इनोवेशन, सांस्कृतिक और धार्मिक सहयोग जैसे कई अहम मुद्दों पर समझौते हुए।
भारत–मंगोलिया रिश्तों में नई उड़ान: 10 अहम पहलू जो बदलेंगे दोनों देशों का भविष्य
रक्षा सहयोग और संयुक्त सैन्य अभ्यास
भारत और मंगोलिया ने अपने सैन्य संबंधों को नई ऊंचाई देने पर सहमति जताई है। भारतीय सेना मंगोलियाई सैनिकों को ट्रेनिंग देगी और दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास (Joint Military Exercise) करेंगे। यह सहयोग हिंद–प्रशांत क्षेत्र में भारत की सैन्य मौजूदगी को मज़बूती देगा।
मंगोलिया की सीमाओं की सुरक्षा में भारत की मदद
प्रधानमंत्री मोदी ने घोषणा की कि भारत मंगोलिया की सीमा सुरक्षा बलों की क्षमता निर्माण (capacity building) में मदद करेगा। इससे मंगोलिया को चीन और रूस के बीच स्थित अपनी रणनीतिक सीमाओं की सुरक्षा में बड़ा फायदा मिलेगा।
ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्र में 1.7 अरब डॉलर की रिफाइनरी
भारत की वित्तीय सहायता से मंगोलिया में बन रहा पहला तेल रिफाइनरी प्रोजेक्ट 2028 तक चालू होगा। यह रिफाइनरी मंगोलिया को ऊर्जा आत्मनिर्भरता देगी और भारत को एशिया में अपनी ऊर्जा पार्टनरशिप का नया हब बनाने में मदद करेगी।
कोयला और दुर्लभ धातुओं पर समझौता
मंगोलिया में कोयला, तांबा और ‘रेयर अर्थ मेटल्स’ का विशाल भंडार है। भारत इन खनिजों के अन्वेषण और आयात में भागीदारी करेगा, जिससे भारत की ऊर्जा और औद्योगिक निर्भरता चीन पर घटेगी।
फ्री ई–वीजा से बढ़ेगा सांस्कृतिक और व्यापारिक संपर्क
भारत ने मंगोलियाई नागरिकों को फ्री ई–वीजा देने की घोषणा की है। इससे दोनों देशों के बीच पर्यटन, व्यापार और धार्मिक संबंध और गहरे होंगे। मंगोलिया की एयरलाइंस नई दिल्ली और अमृतसर के लिए जल्द चार्टर उड़ानें शुरू करेंगी।
शिक्षा, संस्कृति और बौद्धिक विरासत का सेतु
दोनों देशों ने शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में भी नए कदम उठाए हैं। नालंदा विश्वविद्यालय को मंगोलिया के गंदन मठ (Gandan Monastery) से जोड़ा जाएगा। भारत वहां संस्कृत शिक्षक नियुक्त करेगा, और मंगोलियाई छात्रों को 70 अतिरिक्त ITEC स्कॉलरशिप दी जाएंगी।
संयुक्त डाक टिकट: रामलीला और बियेलगे की कहानी
भारत और मंगोलिया के बीच जारी किया गया संयुक्त डाक टिकट दोनों देशों की लोक परंपराओं को दर्शाता है। इसमें भारत की ‘रामलीला’ और मंगोलिया के लोकनृत्य ‘बियेलगे’ को दिखाया गया है, जो दोनों देशों की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है।
Geology, डिजिटल समाधान और आपदा राहत सहयोग
बैठक में कुल 10 समझौता ज्ञापन (MoUs) पर साइन हुए। इनमें मानवीय सहायता, डिजिटल सॉल्यूशंस, खनिज संसाधन, आव्रजन और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में सहयोग शामिल है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत को मिला समर्थन
मंगोलिया ने भारत को यूएन सिक्योरिटी काउंसिल की स्थायी सदस्यता के लिए दोबारा समर्थन दिया है। यह भारत की वैश्विक कूटनीतिक ताकत को और मजबूती देता है।
भविष्य के नजरिए से स्ट्रैटेजिक फायदे
भारत मंगोलिया के साथ मजबूत पार्टनरशिप के जरिए चीन–रूस के प्रभाव क्षेत्र में एक नया ‘Trust Corridor’ बना रहा है। इससे भारत का असर सिर्फ दक्षिण एशिया तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि मिडिल एशिया तक विस्तार पाएगा।
भारत अब ‘सॉफ्ट पावर’ नहीं, ‘स्मार्ट पावर’ की रणनीति पर है
भारत और मंगोलिया की साझेदारी एशिया में बदलते पावर बैलेंस का संकेत है। यह सिर्फ दोस्ती या निवेश की कहानी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक जवाब है उस चीन को, जिसने आर्थिक ताकत के दम पर एशिया में अपने प्रभाव का विस्तार किया है।
भारत की इस नई कूटनीति की खूबसूरती यह है कि यह 'धर्म, संस्कृति और विकास' तीनों को जोड़ती है। बौद्धिक रिश्तों की विरासत, सैन्य साझेदारी की मजबूती और ऊर्जा सहयोग का विस्तार, ये तीन स्तंभ भारत को एशिया में एक संतुलित और भरोसेमंद शक्ति बनाते हैं।
मंगोलिया के साथ बढ़ती नजदीकियां चीन के लिए भी एक संकेत हैं कि भारत अब 'रीएक्टिव' नहीं, बल्कि 'प्रोएक्टिव पावर' बन चुका है। जैसे चीन ने 'String of Pearls' बनाकर भारत को समुद्रों से घेरा, वैसे ही भारत अब 'Circle of Trust' बनाकर उत्तर से जवाब दे रहा है। भारत–मंगोलिया रिश्ते सिर्फ भूगोल का मामला नहीं, भूराजनीति की दिशा तय करने वाले हैं। अगर यह साझेदारी इसी रफ्तार से आगे बढ़ती रही, तो आने वाले सालों में मंगोलिया भारत के सबसे भरोसेमंद सामरिक सहयोगी (strategic ally) देशों में गिना जाएगा। कुल मिलाकर इस पार्टनरशिप से दोनों देशों को फायदा मिलेगा, लेकिन रणनीतिक रूप से भारत को बड़ा फायदा होगा।
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