Movie prime

मोदी ने मुझसे वादा किया कि रूस से तेल नहीं खरीदेंगे.. Trump के दावे पर भारत ने क्या जवाब दिया! 

Trump's Claim: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। लेकिन भारत की ओर से आई प्रतिक्रिया ने इस दावे को न तो पूरी तरह खारिज किया और न ही स्वीकार किया — बस, एक राजनयिक सधे हुए बयान में “भारतीय उपभोक्ता हितों” को सर्वोच्च बताया गया।
 
 
Trump's Claim
WhatsApp Channel Join Now
Instagram Profile Join Now

Trump's Claim: अमेरिका और रूस के बीच जारी ऊर्जा राजनीति में भारत का नाम एक बार फिर चर्चा में है। 15 अक्टूबर को व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा- 
'मैं खुश नहीं था कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है। लेकिन आज पीएम मोदी ने मुझे भरोसा दिलाया है कि भारत अब ऐसा नहीं करेगा। यह एक बड़ा कदम, है अब हम यही चीन से भी करवाने जा रहे हैं।'

ट्रंप ने इसे रूस को आर्थिक रूप से अलग-थलग करने की दिशा में महत्वपूर्ण वैश्विक कदम बताया। हालांकि, भारत में अमेरिकी दावे को लेकर किसी स्तर पर पुष्टि नहीं की गई है। अमेरिका में मौजूद भारतीय दूतावास ने भी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की, जिससे यह स्पष्ट नहीं हो सका कि वास्तव में पीएम मोदी ने ट्रंप को ऐसा कोई आश्वासन दिया भी है या नहीं। 

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने 16 अक्टूबर को कहा — 'भारत तेल और गैस का एक अहम आयातक है। अस्थिर ऊर्जा परिदृश्य में भारतीय उपभोक्ता के हितों की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता है। हमारी आयात नीतियां पूरी तरह से इसी के आधार पर तय होती हैं।' जायसवाल ने यह भी जोड़ा कि भारत का लक्ष्य स्थिर ऊर्जा कीमतों और सुरक्षित आपूर्ति को सुनिश्चित करना है, और इसके लिए वह “ऊर्जा स्रोतों के विविधीकरण” की नीति पर काम कर रहा है।

यह बयान भले ही सीधा जवाब न लगे, लेकिन कूटनीतिक भाषा में यही भारत का ठोस प्रतिवाद था — एक ऐसा जवाब जो न तो अमेरिका को नाराज़ करता है, और न ही रूस से संबंधों को प्रभावित करता है।

MEA Reacts on Trump Claim

अमेरिका की नाराज़गी और भारत का ‘रियलिस्ट’ नज़रिया

ट्रंप की सरकार भारत से लंबे समय से नाराज़ रही है कि वह रूस से डिस्काउंट पर कच्चा तेल खरीद रहा है। अमेरिका ने इसी कारण भारत पर 50% तक टैरिफ लगाया, जबकि चीन और तुर्किये जैसे देशों पर ऐसी सख्ती नहीं की। भारत की ओर से बार-बार कहा गया है कि तेल आयात का निर्णय भारत के लोगों के आर्थिक हितों को ध्यान में रखकर किया जाता है, न कि किसी राजनीतिक दबाव में।

वास्तव में, रूस से सस्ता तेल खरीदकर भारत ने अपने ईंधन बाजार को स्थिर रखा है, जिससे आम उपभोक्ता पर बोझ कम हुआ। यह नीति कूटनीति नहीं, बल्कि व्यावहारिक अर्थशास्त्र (Realpolitik) का हिस्सा है।

ट्रंप का यह दावा अमेरिका की 'भूराजनीतिक ऊर्जा रणनीति' का हिस्सा है। लेकिन भारत अब 1990 के दशक वाला 'नीति-निर्देशित देश' नहीं रहा, आज वह स्वायत्त विदेश नीति पर चलता है। भारत के जवाब से साफ है कि वह किसी दबाव में आने वाला नहीं। न तो रूस को खोना चाहता है, और न ही अमेरिका से रिश्ते बिगाड़ना। बल्कि, वह इस ऊर्जा युद्ध को आर्थिक अवसर में बदलने की रणनीति पर काम कर रहा है। ट्रंप का बयान भले ही सुर्खियाँ बना ले, लेकिन भारत की चुप्पी कहीं अधिक कूटनीतिक वजन रखती है।

ALSO READ - Powerful Passport की लिस्ट में अमेरिका Top-10 से बाहर, भारत भी खिसका- आखिर क्यों?