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क्या रूस बन रहा है नया डेमोग्राफिक हॉटस्पॉट? मुस्लिम आबादी पर रिपोर्ट का दावा

 
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Moscow/New Delhi : युद्ध और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद रूस आज भी दुनिया के ताकतवर देशों में गिना जाता है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नीतियों और रूस की सैन्य शक्ति पर वैश्विक नजर बनी रहती है। इसी बीच रूस की जनसंख्या संरचना को लेकर नए दावे सामने आए हैं, जिनमें धार्मिक संतुलन में बदलाव की बात कही जा रही है।
प्यू रिसर्च की रिपोर्ट में क्या दावा
प्यू रिसर्च की रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस की कुल आबादी करीब 14 से 15 करोड़ के बीच है। इसमें मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी लगभग 7 से 10 प्रतिशत बताई जाती है। इसका अर्थ है कि रूस में करीब 2 से 2.5 करोड़ मुस्लिम नागरिक रहते हैं। हालांकि रूस में धर्म आधारित आधिकारिक जनगणना नहीं होती, इसलिए ये आंकड़े विभिन्न अध्ययनों और शोध रिपोर्ट्स पर आधारित हैं।
आने वाले वर्षों में बढ़ सकता है अनुपात
कुछ धार्मिक नेताओं और मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि अगले 10 से 15 वर्षों में रूस की आबादी में मुस्लिम समुदाय की हिस्सेदारी और बढ़ सकती है। इन बयानों के बाद रूस के भीतर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जनसंख्या संतुलन को लेकर बहस तेज हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अनुमान आक्रामक हो सकते हैं, लेकिन मुस्लिम आबादी की बढ़ती रफ्तार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
मध्य एशिया से माइग्रेशन बना बड़ा कारण
रूस में मुस्लिम आबादी बढ़ने की सबसे बड़ी वजह मध्य एशियाई देशों से माइग्रेशन को माना जा रहा है। उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और कजाकिस्तान जैसे देशों से बड़ी संख्या में लोग रोजगार और बेहतर जीवन की तलाश में रूस पहुंचे हैं। इनमें से कई लोग स्थायी रूप से रूस में बस चुके हैं। इसके अलावा कुछ मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अपेक्षाकृत अधिक जन्म दर भी कुल आंकड़ों को प्रभावित कर रही है।
इन इलाकों में मुस्लिम आबादी ज्यादा
रूस के तातारस्तान, चेचन्या और दागेस्तान जैसे क्षेत्र लंबे समय से मुस्लिम बहुल रहे हैं। वहीं मॉस्को और सेंट पीटर्सबर्ग जैसे बड़े शहरों में भी प्रवासी मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ी है, जिससे शहरी जनसंख्या संरचना में भी बदलाव देखने को मिल रहा है।
2030 तक के दावों पर विशेषज्ञों की राय
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि 2030 तक रूस में मुस्लिम आबादी काफी बड़े स्तर तक पहुंच सकती है। हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि इन आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है, क्योंकि रूस की कुल जनसंख्या सीमित है। इसके बावजूद यह तय माना जा रहा है कि आने वाले वर्षों में जनसंख्या संरचना में बदलाव साफ नजर आएगा।
ईसाई धर्म अब भी बहुसंख्यक
वर्तमान में रूस में ईसाई धर्म को मानने वाले लोग अब भी सबसे ज्यादा हैं। अनुमान के अनुसार करीब आधी आबादी ईसाई परंपराओं से जुड़ी है। हालांकि कम जन्म दर और घटती जनसंख्या के चलते ईसाई समुदाय की हिस्सेदारी धीरे-धीरे घट रही है।
हिंदू और अन्य धर्मों की स्थिति
रूस में हिंदू समुदाय की संख्या बेहद सीमित बताई जाती है और कुल आबादी में इसकी हिस्सेदारी नाममात्र की है। बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग भी सीमित संख्या में हैं। वहीं एक बड़ा वर्ग ऐसा भी है, जो किसी धर्म में विश्वास नहीं करता, जिसे सोवियत काल के धर्मनिरपेक्ष प्रभाव से जोड़कर देखा जाता है।