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नेतन्याहू की तारीफ, मुस्लिम देशों को थैंक्स- गाजा युद्धविराम पर Trump की 6 बातें, शांति या सियासत?

 
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इजरायल की संसद (Knesset) में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भाषण इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। मंच पर खड़े ट्रंप ने गाजा युद्ध विराम को मिडिल ईस्ट की ऐतिहासिक सुबह बताया और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को महान साथी कहते हुए खुलकर सराहा। लेकिन इस भाषण के पीछे का राजनीतिक संदेश, अमेरिकी रणनीति और पश्चिम एशिया की बदलती तस्वीर कई सवाल छोड़ जाती है।

ट्रंप का दावा - अब खत्म हुआ डरावना सपना

अपने भाषण में ट्रंप ने कहा - यह सिर्फ एक युद्ध का अंत नहीं, बल्कि इजरायल और उसके पड़ोसी देशों के लिए स्थायी सद्भाव की शुरुआत है। आने वाली पीढ़ियां इस दिन को याद रखेंगी जब सब कुछ बदलना शुरू हुआ। ट्रंप के मुताबिक, गाजा शांति समझौता सिर्फ इजरायल के लिए नहीं, बल्कि फिलिस्तीन और पूरे मध्य पूर्व के लिए नए युग की शुरुआत है। उन्होंने कहा कि अब बंधक लौट आए हैं, और “डरावना सपना खत्म हो चुका है।

अमेरिकी हथियारों की भूमिका पर बोले ट्रंप

अपने भाषण के दौरान ट्रंप ने यह भी स्वीकार किया कि इजरायल की शक्ति के पीछे अमेरिका की भूमिका अहम रही है। उन्होंने कहा- अमेरिका ने इजरायल को इतने हथियार दिए कि वह मजबूत बना और शांति की दिशा में बढ़ सका। हमने हथियार दिए, लेकिन उनका इस्तेमाल समझदारी से हुआ।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान आने वाले अमेरिकी चुनावों के लिए भी संकेत है — वे इजरायल समर्थक लॉबी और ईसाई मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं।

नेतन्याहू की तारीफ, ईरान को संकेत

ट्रंप ने कहा - नेतन्याहू से निपटना आसान नहीं, यही बात उन्हें महान बनाती है। उन्होंने अपने विदेश मंत्री मार्को रूबियो और रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ की भी जमकर तारीफ की। साथ ही एक अहम संदेश दिया। अब समय है ईरान से भी शांति समझौता करने का। मुझे लगता है, वे भी थक चुके हैं और जिंदा रहना चाहते हैं। यह बयान उस समय आया है जब ईरान लगातार गाजा में अमेरिकी इंटरफेयर और इजरायली हमलों की आलोचना करता रहा है।

अब इजरायल की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं

ट्रंप ने इजरायली संसद को भरोसा दिलाया कि गाजा शांति समझौते के तहत क्षेत्र से सभी सशस्त्र बल हटेंगे, हमास के हथियार जब्त होंगे, और “अब इजरायल की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं रहेगा। उन्होंने यह भी कहा कि, अब समय आ गया है कि युद्ध के मैदान में मिली जीत को शांति और समृद्धि के पुरस्कार में बदला जाए। फिलिस्तीनियों के लिए यह हिंसा छोड़ने का मौका है।

मुस्लिम देशों को धन्यवाद

ट्रंप ने अरब और मुस्लिम देशों की भूमिका की भी सराहना की। उन्होंने कहा - गाजा के पुनर्निर्माण में अरब देशों की प्रतिबद्धता सराहनीय है। कई अमीर देश भारी निवेश करने के लिए तैयार हैं, और यही इस क्षेत्र की असली ताकत बनेगी। इस बयान को मिडिल ईस्ट में अमेरिकी पुनर्संतुलन नीति के रूप में देखा जा रहा है। यानी वॉशिंगटन अब युद्ध की बजाय आर्थिक और राजनीतिक समझौते से अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है।

7 अक्टूबर की भयावहता को कभी नहीं भूलेगा अमेरिका

ट्रंप ने अपने भाषण के अंत में कहा, 7 अक्टूबर 2023 का दिन अमेरिका कभी नहीं भूलेगा। हम उस त्रासदी को याद रखेंगे और सुनिश्चित करेंगे कि ऐसा फिर कभी न हो। उन्होंने दावा किया कि यह गाजा का आठवां और आखिरी युद्ध है जिसे उन्होंने खत्म कराया है, हालांकि आलोचक इसे चुनावी बयानबाज़ी मान रहे हैं।

ट्रंप का यह भाषण सिर्फ शांति की घोषणा नहीं, बल्कि एक राजनीतिक पुनर्स्थापन है। यह भाषण गाजा में शांति की कोशिशों से अधिक, अमेरिका के डिप्लोमैटिक कमबैक का संकेत देता है। नेतन्याहू की तारीफ, ईरान के प्रति संकेत, और मुस्लिम देशों को आर्थिक भागीदारी के लिए धन्यवाद, ये सब इस बात का संकेत हैं कि ट्रंप प्रशासन (या कहें, उनकी संभावित वापसी) मिडिल ईस्ट को सैन्य से आर्थिक साझेदारी में बदलने की राह पर है। गाजा की राख से उठती 'ट्रंप की शांति' कितनी स्थायी होगी, यह आने वाले महीनों में तय होगा। लेकिन इतना तय है, अमेरिका अब युद्ध नहीं, 'डील' की राजनीति पर लौट आया