भारत को धमकी, खुद रूस से कारोबार बढ़ा रहा अमेरिका- Trump की डबल गेम पॉलिसी!

Trump Warns India: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की विदेश नीति पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। एक ओर वह भारत को रूस से तेल खरीदने पर कठोर चेतावनी दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ व्यापार बढ़ाने की बात कर रहे हैं। ट्रंप की इस “दोहरी नीति” ने न केवल वैश्विक ऊर्जा बाजार में असमंजस पैदा कर दिया है बल्कि अमेरिका के सहयोगी देशों के बीच भी अविश्वास का माहौल बना दिया है।
ट्रंप की पोस्ट ने मचाया भूचाल
ट्रंप ने पुतिन से हुई टेलीफोन वार्ता के बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा- 'हमने यूक्रेन युद्ध समाप्त होने के बाद रूस और अमेरिका के बीच व्यापारिक सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की।'
ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ दिन पहले उन्होंने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि रूस से तेल खरीदना बंद किया जाए, अन्यथा आर्थिक दंड झेलना पड़ेगा।
भारत ने ट्रंप का दावा किया खारिज
ट्रंप ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि भारत रूस से तेल की खरीद बंद कर देगा। हालांकि भारत ने इस दावे को सख्ती से खारिज करते हुए कहा है कि ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के आधार पर स्वतंत्र नीति अपनाता है।
ट्रंप की ‘डबल गेम’ पॉलिसी
अगस्त 2025 में ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल आयात पर भारत पर 50% टैरिफ लगा दिया था। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि अमेरिका ने खुद रूस के साथ अपने व्यापारिक रिश्ते पर कोई रोक नहीं लगाई। रिपोर्ट्स के मुताबिक, जनवरी 2025 में राष्ट्रपति पद संभालने के बाद से अमेरिका और रूस के बीच सेवाक्षेत्र में व्यापार 43% तक बढ़ा है।
यूक्रेन युद्ध के बीच बदलते समीकरण
ट्रंप खुद यूक्रेन युद्ध समाप्त कराने की कोशिश में हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि रूस से उनके बढ़ते कारोबारी संपर्क इस प्रयास को कमजोर कर सकते हैं। ट्रंप ने शुक्रवार को एक बार फिर कहा कि 'भारत रूस से तेल खरीदना बंद करेगा' जबकि यह बयान भारत की विदेश नीति को सीधे चुनौती देने जैसा माना जा रहा है।
भारत बना रूस का बड़ा एनर्जी पार्टनर
रूस से सस्ते कच्चे तेल की खरीद में भारत आज चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा खरीदार है। ट्रंप के अनुसार, भारत तुरंत शिपमेंट नहीं रोक सकता, यह प्रक्रिया थोड़ी लंबी है। जानकारों का कहना है कि यह बयान सिर्फ दबाव की रणनीति है, जबकि असल में अमेरिका खुद अपने आर्थिक हितों के लिए रूस से नजदीकियां बढ़ा रहा है।
ट्रंप की नीति को 'अमेरिका फर्स्ट' नहीं, बल्कि 'ट्रंप फर्स्ट'
ट्रंप का भारत पर कठोर शब्दों में बयान देना और दूसरी तरफ पुतिन से व्यापारिक संभावनाओं पर चर्चा करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बीच भ्रम पैदा करता है। यह विरोधाभासी (Contradictory) रुख न केवल वैश्विक ऊर्जा राजनीति को अस्थिर करता है बल्कि अमेरिका की कूटनीतिक विश्वसनीयता (diplomatic credibility) पर भी सवाल खड़े करता है।
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