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क्या Trump से बच रहे PM मोदी? या कोई और है कारण, आखिर क्यों मोदी ASEAN summit के लिए नहीं जाएंगे 

ASEAN summit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बार मलेशिया में होने वाले 47वें ASEAN शिखर सम्मेलन में शामिल नहीं होंगे, लेकिन कांग्रेस ने इसे ट्रंप से बचने का तंज कसा है। क्या यह कूटनीतिक रणनीति है या राजनीतिक फैसला - सवाल यही है।
 
 
ASEAN summit
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ASEAN summit: मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने बताया कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस महीने के अंत में कुआलालंपुर में होने वाले 47वें आसियान (ASEAN) शिखर सम्मेलन में व्यक्तिगत रूप से शामिल क्यों नहीं होंगे। क्या पीएम मोदी ट्रंप के सामने जाने से बच रहे या असल कारण कुछ और है। इब्राहिम ने सोशल मीडिया पर कारण बताते हुए भारत को दीपावली की शुभकमानाएं भी दी। 

इब्राहिम ने सोशल मीडिया पर लिखा

'हमने 47वें ASEAN शिखर सम्मेलन के आयोजन को लेकर चर्चा की। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत में उसी समय दीपावली के आयोजन के कारण वे बैठक में ऑनलाइन शामिल होंगे। मैंने उनके फैसले का सम्मान किया और उन्हें तथा भारत के लोगों को दीपावली की शुभकामनाएं दीं।'

भारत-मलेशिया रिश्तों पर बातचीत

अनवर इब्राहिम ने बताया कि उन्होंने हाल ही में नरेंद्र मोदी के एक सहयोगी से फोन पर बात की, जिसमें भारत-मलेशिया के बीच रिश्तों को और मजबूत करने पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा -
'भारत हमारे लिए व्यापार, निवेश, तकनीक, शिक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण साझेदार है। मलेशिया इन रिश्तों को और गहराई तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।'

प्रधानमंत्री मोदी ने भी X पर लिखा

'मेरे प्रिय मित्र अनवर इब्राहिम से गर्मजोशी भरी बातचीत हुई। मलेशिया की आसियान चेयरमैनशिप पर उन्हें बधाई दी और आगामी सम्मेलनों की सफलता के लिए शुभकामनाएं दीं। मैं वर्चुअली ASEAN-भारत शिखर सम्मेलन में शामिल होने की प्रतीक्षा कर रहा हूं।'

ASEAN शिखर सम्मेलन में अमेरिका और अन्य देश भी शामिल

ASEAN बैठक 26 से 28 अक्टूबर तक कुआलालंपुर में आयोजित होंगी। मलेशिया ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप सहित कई देशों के नेताओं को इंवाइट किया है। ट्रंप 26 अक्टूबर से दो दिन के दौरे पर मलेशिया पहुंचेंगे।

कांग्रेस का तंज – क्या मोदी ट्रंप से मिलने से बच रहे हैं?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने पीएम मोदी के इस फैसले पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह फैसला शायद ट्रंप से आमने-सामने मुलाकात से बचने के लिए लिया गया है। रमेश ने X पर लिखा,

'सोशल मीडिया पर ट्रंप की तारीफ करना एक बात है, लेकिन उस व्यक्ति के साथ मंच शेयर करना जिसने दावा किया कि उसने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ रोका और भारत से तेल खरीद बंद करवाया, ये प्रधानमंत्री के लिए बहुत जोखिम भरा हो सकता है।' शायद इसी वजह से मोदी कुछ हफ्ते पहले मिस्र में आयोजित गाजा शांति सम्मेलन (Gaza Peace Summit) में भी नहीं गए थे।'

रमेश ने व्यंग्य में लिखा,

'अब यह साफ है कि पीएम मोदी कुआलालंपुर नहीं जाएंगे। क्या यह ‘कूटनीति’ है या ‘राजनीति’? बचके रहना रे बाबा, बचके रहना रे…'

क्या यह डिप्लोमैटिक दूरी है या सोची-समझी रणनीति?

अगर इसे गहराई से देखा जाए, तो प्रधानमंत्री मोदी का इस शिखर सम्मेलन में वर्चुअल रूप से शामिल होना कई सवाल खड़े करता है। क्या यह वाकई दीपावली की वजह से है, या फिर भारत किसी विशेष राजनयिक संदेश (Diplomatic Signal) देना चाहता है?

डोनाल्ड ट्रंप की मौजूदगी भी इस निर्णय को राजनीतिक नजरिए से दिलचस्प बना देती है - खासकर तब जब भारत और अमेरिका के संबंध नई दिशा में बढ़ रहे हैं। यह भी संभव है कि मोदी सरकार घरेलू त्योहारों और चुनावी माहौल को ध्यान में रखकर विदेश यात्राओं को फिलहाल सीमित रख रही हो। कूटनीति में कभी-कभी ना जाना भी एक रणनीतिक संदेश होता है और मोदी की राजनीति में यह संदेश अक्सर बहुत गहराई रखता है।

ASEAN और भारत: बढ़ते रिश्ते

भारत और ASEAN देशों के बीच संबंध 1992 में सेक्टोरल पार्टनरशिप से शुरू हुए थे। 1995 में ये फुल डायलॉग पार्टनरशिप में बदले और 2002 में समिट-लेवल पार्टनरशिप बन गए। 2012 में इन रिश्तों को स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का दर्जा मिला।

वर्तमान में ASEAN के 10 सदस्य देश हैं —
इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया। भारत इन देशों के साथ व्यापार, निवेश, शिक्षा, तकनीक और सुरक्षा के क्षेत्र में लगातार सहयोग बढ़ा रहा है।


प्रधानमंत्री मोदी का कुआलालंपुर न जाना सिर्फ एक डायरी प्लानिंग इश्यू नहीं है। यह भारत की विदेश नीति और राजनीतिक प्राथमिकताओं के बीच संतुलन का मामला है। जहां एक तरफ दीपावली के त्योहार का माहौल है, वहीं दूसरी ओर ट्रंप की मौजूदगी और चुनावी राजनीति का समीकरण भी इस फैसले में झलकता है।