वाराणसी I महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर काशी में बुधवार को महाकुंभ जैसा भव्य नजारा देखने को मिला। हनुमान घाट से बाबा विश्वनाथ धाम तक श्रद्धालु दिव्य दृश्य का साक्षी बने। पहली बार नागा साधु-संन्यासियों ने काशी विश्वनाथ धाम में गेट नंबर चार यानी ज्ञानवापी मार्ग से प्रवेश किया। हर-हर महादेव के जयकारों के बीच धाम पहुंचे नागा संन्यासियों पर पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।
नागा संन्यासियों की भव्य पेशवाई निकली
महाशिवरात्रि पर सात अखाड़ों के नागा संन्यासियों ने अपने आराध्य बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया। पेशवाई में बग्घी, घोड़े और वाहन शामिल रहे। गंगा की लहरों, काशी की गलियों में डमरू और शंखनाद की गूंज के साथ जब नागा संन्यासी निकले, तो पूरी काशी शिवमय हो उठी।
महामंडलेश्वरों की अगुवाई में राजसी यात्रा
जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि, आनंद अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर बालकानंद गिरि सहित अन्य प्रमुख संतों ने पेशवाई की अगुवाई की।
सुबह ब्रह्ममुहूर्त में गंगा स्नान के बाद निकले अखाड़े
नागा संन्यासियों ने ब्रह्ममुहूर्त में गंगा स्नान के बाद धर्मध्वजा अर्पित करने की तैयारियां शुरू कीं। सुबह चार बजे राजघाट से अग्नि अखाड़े के साधु, आदिकेशव घाट से आनंद अखाड़े के नागा और हनुमान घाट से जूना अखाड़े के संन्यासी निकले। सभी अखाड़े गोदौलिया पर एकत्र हुए और वहां से बाबा विश्वनाथ धाम पहुंचे।
काशी विश्वनाथ धाम में पहली बार गेट नंबर चार से प्रवेश
महंत शंकर पुरी महाराज ने बताया कि यह पहला अवसर था जब नागा संन्यासियों ने गेट नंबर चार (ज्ञानवापी मार्ग) से प्रवेश किया। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि सुबह सात बजे से अखाड़ों का मंदिर में प्रवेश शुरू हुआ। हजारों नागा संन्यासियों की उपस्थिति में काशी की गलियां हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठीं।