Movie prime

स्क्रीन एडिक्शन से हर तीसरा व्यक्ति प्रभावित, नींद और भूख पर पड़ रहा असर

 
Mobile Addiction
WhatsApp Channel Join Now
Instagram Profile Join Now

आगरा I फतेहाबाद रोड स्थित एक होटल में एसोसिएशन फॉर क्लिनिकल साइकेट्री (एसीपी) की दो दिवसीय कार्यशाला में चिकित्सकों ने युवाओं में बढ़ते मानसिक विकारों पर चिंता जताई। नशाखोरी और स्क्रीन एडिक्शन को इन विकारों की बड़ी वजह बताया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि नशे की लत के कारण युवाओं में नस सिकुड़ने, अवसाद और सिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं।

एसीपी के नवनियुक्त अध्यक्ष डॉ. यूसी गर्ग ने कहा कि युवा नशे की लत को पूरा करने के लिए खतरनाक मादक पदार्थों का उपयोग कर रहे हैं, जिसका दुष्प्रभाव दिमाग और शरीर के अन्य अंगों पर पड़ रहा है। इससे नींद, भूख और याददाश्त प्रभावित हो रही है। आयोजन अध्यक्ष डॉ. केसी गुरनानी ने बताया कि स्क्रीन एडिक्शन के कारण हर तीसरा व्यक्ति प्रभावित है। देर रात तक मोबाइल और लैपटॉप देखने से सिरदर्द, आंखों की कमजोरी, नसों में सूजन और भूख-प्यास की समस्या हो रही है।

ऑनलाइन इलाज बढ़ा रहा जोखिम

कार्यशाला में भारतीय डिजिटल क्रांति और मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए निवर्तमान अध्यक्ष डॉ. एससी तिवारी ने कहा कि लोग सोशल मीडिया और ऐप्स के जरिए बिना पूरी जानकारी के इलाज कर रहे हैं। इससे दवाओं के गलत उपयोग के कारण बीमारियां गंभीर हो रही हैं। कोलकाता के डॉ. गौतम साहा, हैदराबाद के डॉ. के. अशोक रेड्डी और चंडीगढ़ के डॉ. परम कुल्हारा ने डिजिटल तकनीक की इलाज में भूमिका पर प्रकाश डाला। बेंगलुरू के डॉ. सी. नवीन कुमार ने टेलीमानस की 24 घंटे की इलाज सेवा के प्रचार की जरूरत बताई।

उद्घाटन और विशेषज्ञों के व्याख्यान

कार्यशाला का उद्घाटन केंद्रीय राज्यमंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल और एसएन प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने किया। डॉ. विशाल सिन्हा, डॉ. काश्यपी गर्ग, डॉ. अनुराग वर्मा, डॉ. अब्दुल मजीद, डॉ. पीके दलाल, डॉ. वेणुगोपाल झांवर, डॉ. पार्थ बघेल, डॉ. रश्मि शुक्ला, डॉ. मनोज साहू और डॉ. आदित्य प्रिया ने भी व्याख्यान दिए।

चिकित्सकों की सलाह

- तंबाकू, शराब और अन्य नशों से दूर रहें।  

- 6 से 8 घंटे की एकमुश्त नींद लें और सोने से दो घंटे पहले स्क्रीन न देखें।  

- 45 मिनट स्क्रीन देखने के बाद 5 मिनट का ब्रेक लें, आंखें और मुंह धोएं।  

- मानसिक विकार होने पर सोशल मीडिया या ऐप्स के इलाज से बचें।