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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सवालों के घेरे में, दीपू दास हत्या ने बढ़ाई चिंताएं

बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों के बीच मयमनसिंह में ईशनिंदा के आरोप में दीपू दास की भीड़ हत्या ने भय बढ़ा दिया है। परिजन इसे साजिश बता रहे हैं। अंतरिम सरकार ने परिवार की जिम्मेदारी लेने की घोषणा की, जबकि मानवाधिकार संगठन अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
 
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Dhaka/New Delhi : बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर बढ़ते हमलों के बीच मयमनसिंह में भीड़ द्वारा ईशनिंदा के आरोप में एक हिंदू युवक की हत्या के बाद भय और असुरक्षा का माहौल और गहरा गया है। बीते 7–8 महीनों से लगातार हो रही हिंसक घटनाओं के कारण बड़ी संख्या में लोग दहशत में जी रहे हैं और सुरक्षा कारणों से अपनी पहचान उजागर करने से भी बच रहे हैं। एक स्थानीय युवक ने कहा कि अगर मेरी आवाज या चेहरा पहचान लिया गया, तो शायद मैं अगली सुबह न देख पाऊं।

स्थानीय नागरिकों का कहना है कि अंतरिम शासन के दौरान कट्टरपंथी समूहों के हौसले बढ़े हैं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमले तेज हुए हैं। शेख हसीना सरकार के पतन के बाद कई उग्रपंथी संगठनों की गतिविधियां खास तौर पर संवेदनशील इलाकों में बढ़ी बताई जा रही हैं।

18 दिसंबर को हत्या, ईशनिंदा के आरोप पर भीड़ ने की पिटाई

घटना 18 दिसंबर को मयमनसिंह के एक परिधान कारखाने में हुई, जहां 25 वर्षीय दीपू दास को कथित ईशनिंदा के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और बाद में शव को आग के हवाले कर दिया। हालांकि रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) के कंपनी कमांडर मोहम्मद शम्सुज्जमान ने कहा कि अब तक ऐसे कोई ठोस सबूत सामने नहीं आए हैं, जो ईशनिंदा के आरोप की पुष्टि करें। पीड़ित के परिजनों ने हत्या को “साजिश” करार दिया है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

सरकार ने परिवार की देखभाल की जिम्मेदारी ली

अंतरिम सरकार के वरिष्ठ शिक्षा सलाहकार सी.आर. अबरार ने मृतक के परिजनों से मुलाकात कर घटना को “क्रूर अपराध” बताया। उन्होंने कहा कि सरकार दीपू दास की पत्नी, बच्चे और माता-पिता की जिम्मेदारी संभालेगी।

मानवाधिकार संगठनों ने सरकार से अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने, हिंसा की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई और दोषियों के खिलाफ तेजी से कानूनी कदम उठाने की मांग की है।

स्थानीय समुदाय का कहना है कि हालिया हिंसा और धमकियों के चलते हिंदुओं में भय और असुरक्षा की भावना गहरी होती जा रही है, और प्रशासन से भरोसेमंद सुरक्षा उपायों की अपेक्षा बढ़ गई है।