कर्मचारी ने चुराए सिर्फ़ 260 रुपये के सिक्के! हाईकोर्ट ने कहा- कार्रवाई हो
Prayagraj: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नोएडा स्थित भारत सरकार की टकसाल में कार्यरत एक कर्मचारी को महज 260 रुपये के सिक्कों की चोरी के आरोपों से राहत देने से साफ इनकार कर दिया है। कोर्ट ने टकसाल जैसे संवेदनशील संस्थान में अनुशासन की अहमियत पर जोर देते हुए विभागीय जांच और आपराधिक मुकदमे को एकसाथ चलाने की अनुमति दी। साथ ही, जांच को तीन माह के भीतर पूरा करने का सख्त निर्देश जारी किया। इस फैसले ने सरकारी संस्थानों में जवाबदेही और पारदर्शिता पर नई बहस छेड़ दी है।

यह आदेश हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अजय भनोट ने टकसाल कर्मचारी आनंद कुमार की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया। आनंद कुमार, जो नोएडा टकसाल में असिस्टेंट ग्रेड-III के पद पर तैनात थे, पर 19 दिसंबर 2024 को सीआईएसएफ के जवान ने गेट पर 20 रुपये के 13 सिक्के (कुल मूल्य 260 रुपये) बाहर ले जाते हुए पकड़ लिया था। घटना के तुरंत बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई और ट्रायल कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी गई। उधर, टकसाल प्रशासन ने 3 दिसंबर 2024 को ही विभागीय आरोप पत्र जारी कर जांच शुरू कर दी थी और आनंद को निलंबित कर दिया।
याचिकाकर्ता की दलीलें कमजोर पड़ीं
आनंद कुमार की ओर से वकीलों ने तर्क दिया कि एक ही घटना पर आधारित आपराधिक मुकदमा और विभागीय जांच एक साथ नहीं चल सकती। उनका कहना था कि दोनों में समान साक्ष्य होने से बचाव का मौलिक अधिकार प्रभावित होगा। याचिकाकर्ता ने निलंबन आदेश रद्द करने और विभागीय कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की। लेकिन कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि टकसाल में सिक्के ढालने का कार्य देश की आर्थिक विश्वसनीयता से सीधे जुड़ा है। ऐसे में किसी भी कदाचार पर ढील देना संस्थागत हितों के खिलाफ होगा।

सरकार की मजबूत पैरवी
सरकार की ओर से पेश वकीलों ने स्पष्ट किया कि आपराधिक केस का उद्देश्य अपराध साबित करना है, जबकि विभागीय जांच सेवा नियमों और अनुशासनिक आचरण से जुड़ी होती है। दोनों प्रक्रियाएं अलग-अलग उद्देश्यों वाली हैं और एक-दूसरे को प्रभावित नहीं करतीं। कोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए माना कि गंभीर आरोपों का सामना कर रहे कर्मचारी को ड्यूटी पर बहाल करना उचित नहीं। न्यायमूर्ति भनोट ने फैसले में कहा कि जांच पर रोक लगाने से जवाबदेही की कमी की संस्कृति को बढ़ावा मिलेगा। टकसाल जैसे अत्यंत संवेदनशील संस्थान में सख्ती जरूरी है।
भारत सरकार की टकसाल मुद्रा निर्माण का केंद्र है, जहां सिक्कों की ढलाई और वितरण होता है। यहां किसी भी चोरी या कदाचार का मामला न केवल आर्थिक नुकसान पहुंचाता है, बल्कि देश की करेंसी सिस्टम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि कोर्ट का यह फैसला सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नजीर कायम करेगा, जहां छोटे-मोटे कदाचार को भी बख्शा नहीं जाएगा।
