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स्टील सेक्टर पर सरकार की मजबूत पकड़, आयात पर ब्रेक और निवेश को पुश

घरेलू इस्पात उद्योग को मजबूत करने के लिए सरकार ने चीन और वियतनाम से आयातित फ्लैट स्टील पर सुरक्षा व एंटी-डंपिंग शुल्क लगाए। उच्च गुणवत्ता इस्पात उत्पादन हेतु PLI योजना लागू की गई। कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ाने पर जोर है, जबकि उद्योग ने मांग सृजन और नीतिगत स्थिरता की जरूरत बताई।

 
स्टील सेक्टर पर सरकार की मजबूत पकड़, आयात पर ब्रेक और निवेश को पुश
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New Delhi : घरेलू इस्पात उद्योग को मजबूत करने और आयात से होने वाले नुकसान को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने कई अहम कदम उठाए हैं। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीन और वियतनाम जैसे देशों से आने वाले फ्लैट इस्पात उत्पादों पर सुरक्षा शुल्क और एंटी-डंपिंग शुल्क लगाए गए हैं, ताकि घरेलू निर्माताओं को संरक्षण मिल सके।

अधिकारी के अनुसार, उच्च गुणवत्ता वाले तैयार स्टील के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना लागू की है। इस योजना के तहत रक्षा, बिजली आपूर्ति, नवीकरणीय ऊर्जा, ऑटोमोबाइल और विमानन जैसे रणनीतिक क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले विशेष और उच्च-स्तरीय इस्पात के विनिर्माण पर वित्तीय प्रोत्साहन दिए जा रहे हैं।

कच्चे माल की उपलब्धता बढ़ाने पर जोर

सरकार कच्चे माल की आपूर्ति को मजबूत करने पर भी विशेष ध्यान दे रही है। अधिकारी ने बताया कि कोकिंग कोयले के नए भंडारों की खोज की जा रही है और आपूर्ति में विविधता लाने के लिए संसाधन-समृद्ध देशों के साथ बातचीत चल रही है। वहीं, लौह अयस्क की नीलामी पहले से जारी है और इस्पात निर्माताओं को इसमें सक्रिय भागीदारी के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।

उद्योग जगत की प्रतिक्रिया

जिंदल स्टील के चेयरमैन और भारतीय इस्पात संघ के अध्यक्ष नवीन जिंदल ने कहा कि भारत ने इस्पात क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन इसे और तेजी से लागू करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि आगे का रास्ता निरंतर मांग सृजन, नीतिगत स्थिरता और साहसिक निवेश पर निर्भर करता है।

उद्योग निकाय एसोचैम ने सरकार के प्रयासों को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि कोकिंग कोयले की बढ़ती लागत, ऊंचे लॉजिस्टिक खर्च, रेलवे रेक की सीमित उपलब्धता और बुनियादी ढांचे की बाधाएं अभी भी इस क्षेत्र पर दबाव बना रही हैं। हालांकि, एसोचैम को नए साल में इस्पात की मांग बढ़ने की उम्मीद है और उसके अनुसार गुणवत्ता नियंत्रण आदेशों में आगे किसी तरह की ढील की संभावना कम है।