LVM3 M6 Bluebird Mission : इसरो का कमाल, अमेरिकी सैटेलाइट ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 किया लॉन्च, अब अंतरिक्ष से सीधे चलेगा स्मार्टफोन
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक बार फिर अंतरिक्ष जगत में भारत का परचम लहराया है। ISRO की भारी-भरकम LVM3-M6 रॉकेट ने सफलतापूर्वक उड़ान भरते हुए अमेरिका के अगली पीढ़ी के संचार उपग्रह AST स्पेसमोबाइल ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को पृथ्वी की निम्न कक्षा (लोअर अर्थ ऑर्बिट) में स्थापित करने के मिशन को अंजाम दिया।
यह ऐतिहासिक लॉन्च 24 दिसंबर 2025 की सुबह श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। निर्धारित समय 8:54 बजे था, हालांकि तकनीकी कारणों से लॉन्च में करीब 90 सेकेंड की देरी हुई। इसके बावजूद मिशन पूरी तरह सफल रहा।
अब तक का सबसे भारी पेलोड
ISRO के मुताबिक, ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 अब तक का सबसे भारी पेलोड है, जिसे LVM3 रॉकेट के जरिए लोअर अर्थ ऑर्बिट में भेजा गया है। इस सैटेलाइट का वजन 6,100 किलोग्राम है। इससे पहले सबसे भारी पेलोड का रिकॉर्ड 4,400 किलोग्राम वजनी CMS-03 संचार उपग्रह के नाम था, जिसे 2 नवंबर को लॉन्च किया गया था।
कमर्शियल मिशन के तहत हुआ लॉन्च
इस मिशन को ISRO की कमर्शियल शाखा न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) ने अंजाम दिया। NSIL ने अमेरिकी कंपनी AST स्पेसमोबाइल के साथ इस लॉन्च के लिए समझौता किया था। लॉन्च के लगभग 15 मिनट बाद सैटेलाइट रॉकेट से अलग होकर करीब 600 किलोमीटर ऊंचाई पर अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित हो गई।
क्यों खास है ब्लूबर्ड ब्लॉक-2
ब्लूबर्ड ब्लॉक-2 को दुनिया भर में स्मार्टफोन को सीधे हाई-स्पीड सेलुलर ब्रॉडबैंड उपलब्ध कराने के लिए डिजाइन किया गया है।
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इसमें 223 वर्ग मीटर का विशाल फेज्ड-एरे एंटीना लगा है, जो इसे लोअर अर्थ ऑर्बिट में तैनात अब तक का सबसे बड़ा वाणिज्यिक संचार उपग्रह बनाता है।
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इस सैटेलाइट की मदद से आम स्मार्टफोन सीधे उपग्रह से जुड़ सकेंगे।
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यह नेटवर्क दुनिया के किसी भी कोने में 4G और 5G वॉयस कॉल, वीडियो कॉल, मैसेजिंग, स्ट्रीमिंग और डेटा सेवाओं को सपोर्ट करेगा।
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भविष्य में अंतरिक्ष से सीधे धरती पर कॉल और वीडियो कॉल संभव हो सकेगी।
LVM3 की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय पहचान
AST स्पेसमोबाइल इससे पहले सितंबर 2024 में पांच ब्लूबर्ड सैटेलाइट लॉन्च कर चुकी है और दुनिया भर के 50 से अधिक मोबाइल ऑपरेटर्स से करार कर चुकी है। वहीं ISRO का LVM3 रॉकेट पहले ही चंद्रयान-2, चंद्रयान-3 समेत कुल 72 सैटेलाइट्स को सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में पहुंचा चुका है।
इस सफल लॉन्च के साथ ISRO ने न केवल तकनीकी क्षमता का प्रदर्शन किया है, बल्कि वैश्विक कमर्शियल स्पेस मार्केट में भारत की मजबूत मौजूदगी भी एक बार फिर साबित कर दी है।
