‘जी राम जी बिल’ पर संसद में घमासान, जेपीसी की मांग पर अड़ा विपक्ष
Dec 18, 2025, 13:26 IST
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New Delhi : संसद में ‘जी राम जी बिल’ पर चर्चा की औपचारिक शुरुआत हो गई है। चर्चा के दौरान विपक्षी दलों ने बिल पर कड़ी आपत्तियां जताईं और इसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमिटी (जेपीसी) को भेजने की मांग की। विपक्ष का आरोप है कि सरकार बिना पर्याप्त विचार-विमर्श के इस अहम बिल को पारित कराना चाहती है।
विपक्ष की आपत्ति, जेपीसी की मांग
कांग्रेस सांसद के.सी. वेणुगोपाल ने कहा कि यह बिल दूरगामी और व्यापक प्रभाव वाला है, इसलिए इस पर विस्तार से चर्चा जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऐसे विधेयक को जेपीसी को भेजना लोकतांत्रिक प्रक्रिया के हित में होगा।
स्पीकर का बयान: 98 सांसदों को मिला अतिरिक्त समय
लोकसभा अध्यक्ष ने सदन को बताया कि एक दिन पहले की चर्चा के दौरान 98 सांसदों ने बोलने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था, जिसे स्वीकार कर लिया गया। इसके बावजूद विपक्ष लगातार और चर्चा की मांग करता रहा। चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने नारेबाजी शुरू कर दी और कई सदस्य वेल में उतर आए। इससे सदन की कार्यवाही कुछ समय के लिए बाधित होती नजर आई।
शिवराज सिंह चौहान का विपक्ष पर हमला
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सरकार की ओर से जवाब देते हुए विपक्ष पर तीखा हमला बोला। हंगामे के बीच उन्होंने कहा कि अपनी बात सुनाना और दूसरों की बात न सुनना भी हिंसा है। ये बापू के आदर्शों की हत्या कर रहे हैं। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत महात्मा गांधी को प्रणाम करते हुए की और कहा कि गांधी जी बीजेपी के आदर्श और प्रेरणा हैं।
‘गांव भारत की आत्मा’ – गांधी के विचारों का जिक्र
शिवराज सिंह चौहान ने महात्मा गांधी के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि गांव भारत की आत्मा हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी की नीतियों के केंद्र में गांवों का विकास है और इसके लिए वर्षों से योजनाबद्ध तरीके से काम किया जा रहा है।
हिंदुत्व की परिभाषा भी बताई
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, विश्व का कल्याण हो – यही हिंदुत्व है। ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ भी हिंदुत्व है। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व की भावना सबको साथ लेकर चलने की है।
मनरेगा के नामकरण पर कांग्रेस पर निशाना
शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया कि मनरेगा योजना की शुरुआत में इसका नाम गांधी जी के नाम पर नहीं था। उन्होंने कहा कि 2009 के चुनावों के दौरान कांग्रेस को गांधी जी याद आए और तब उनका नाम जोड़ा गया। उन्होंने दावा किया कि मनरेगा को मजबूती से लागू करने का काम मोदी सरकार ने किया।
‘नाम की सनक’ का आरोप
उन्होंने कांग्रेस पर नेहरू परिवार के नाम पर योजनाओं और संस्थानों के नामकरण का आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने गांधी जी के नाम का भी राजनीतिक इस्तेमाल किया।
गांधी जी के आदर्शों की अनदेखी का आरोप
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज़ादी के बाद गांधी जी ने कांग्रेस को भंग कर लोक सेवक संघ बनाने की बात कही थी, लेकिन सत्ता के लिए नेहरू ने ऐसा नहीं किया। उन्होंने आपातकाल और देश के बंटवारे को भी गांधी जी के आदर्शों के खिलाफ बताया। केंद्रीय मंत्री ने मनरेगा में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि सामग्री मद में खर्च को लेकर गंभीर अनियमितताएं हुईं, जिसके कारण योजना के बेहतर क्रियान्वयन की जरूरत पड़ी।
“हमें चुप नहीं कराया जा सकता”
अपने भाषण के अंत में शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आज मैं बोलूंगा, मुझे देश को बताना है। ये मुझे चुप नहीं करा सकते।उन्होंने कहा कि मोदी सरकार काम पर विश्वास करती है, जबकि कांग्रेस केवल दिखावे की राजनीति करती रही है।
