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अरावली पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा यू-टर्न, पुराने आदेश पर लगाई रोक, पुनर्विचार की तैयारी

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स की वैज्ञानिक परिभाषा संबंधी अपने पूर्व आदेश पर फिलहाल रोक लगाते हुए मामले की व्यापक पर्यावरणीय समीक्षा की आवश्यकता बताई। कोर्ट ने संकेत दिया कि विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी। समिति की रिपोर्ट तक पुराना आदेश स्थगित रहेगा और अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।

 
अरावली पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा यू-टर्न, पुराने आदेश पर लगाई रोक, पुनर्विचार की तैयारी
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New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने अरावली हिल्स और रेंज की परिभाषा से जुड़े मामले में अपने पूर्व आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है और कहा है कि मामले की वैज्ञानिक एवं पारिस्थितिकीय दृष्टि से व्यापक समीक्षा आवश्यक है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान संकेत दिया कि इस मुद्दे पर उच्च-स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की जाएगी।

सीजेआई सूर्यकांत ने कहा कि यह तय करना जरूरी है कि 500 मीटर के गैप वाले क्षेत्रों में यदि नियंत्रित खनन की अनुमति दी जाती है, तो पारिस्थितिक निरंतरता को सुरक्षित रखने के लिए कौन-से संरचनात्मक मानक अपनाए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि 12,081 पहाड़ियों में से 1,048 पहाड़ियों को 100 मीटर ऊंचाई के मानदंड पर अलग मानना वैज्ञानिक रूप से सही है या नहीं, इसकी तथ्यात्मक जांच आवश्यक है। कोर्ट ने कहा कि अरावली क्षेत्र से बाहर रखे गए भूभागों की सटीक पहचान भी होनी चाहिए और यह परखा जाना चाहिए कि कहीं ऐसा बहिष्करण पर्वत श्रृंखला की पारिस्थितिक अखंडता को नुकसान तो नहीं पहुंचाता।

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि समिति गठित करने से पहले उसके कार्यक्षेत्र और दायरे को स्पष्ट किया जाना चाहिए। अदालत ने कहा कि समिति के गठन और रिपोर्ट आने तक पूर्व आदेश को स्थगित रखा जाएगा। मामले पर अगली सुनवाई के लिए 21 जनवरी की तारीख निर्धारित की गई है। इससे पहले 20 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली रेंज की एक समान वैज्ञानिक परिभाषा को मंजूरी दी थी और दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में नई खनन लीज जारी करने पर रोक लगाई थी।

पूर्व वन अधिकारी आर.पी. बलवान द्वारा दायर याचिका में 100 मीटर ऊंचाई के मानदंड का विरोध किया गया है। उनका तर्क है कि यह पैमाना अरावली संरक्षण प्रयासों को कमजोर कर सकता है। वहीं, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा है कि टिकाऊ खनन के लिए प्रबंधन योजना बने बिना नए खनन पट्टे मंजूर नहीं किए जाएंगे।