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ED ने क्यों जब्त की अनिल अंबानी की ₹7,500 करोड़ की प्रॉपर्टी? खास तरह के पैटर्न से हुई हेराफेरी

ED Action on Anil Ambani: ईडी ने मनी लांड्रिंग जांच के तहत अनिल अंबानी और उनकी कंपनियों की ₹7,500 करोड़ से अधिक की संपत्तियां जब्त की हैं। जांच में खुलासा हुआ कि कंपनियों ने ₹13,600 करोड़ के कर्ज को गलत तरीके से डायवर्ट किया। जब्त संपत्तियों में मुंबई, दिल्ली, नोएडा, हैदराबाद समेत कई शहरों की प्रॉपर्टी शामिल हैं।

 
ED Action on Anil Ambani
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ED Action on Anil Ambani: अनिल अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप पर ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने बड़ी कार्रवाई की है। मनी लॉन्ड्रिंग के एक गंभीर मामले में ईडी ने अनिल अंबानी, उनकी कंपनियों और संबंधित संस्थाओं से जुड़ी 43 संपत्तियां जब्त कर ली हैं, जिनकी कुल कीमत ₹7,545 करोड़ बताई जा रही है। ये कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत की गई, जिसके लिए 31 अक्टूबर से 3 नवंबर तक ईडी ने पांच अंतरिम आदेश जारी किए।

आखिर क्यों की गई ये कार्रवाई?

ईडी की जांच में यह बात सामने आई कि रिलायंस कम्युनिकेशन (RCom) और उससे जुड़ी कंपनियों ने 2010 से 2012 के बीच घरेलू और विदेशी बैंकों से लिए गए हजारों करोड़ रुपये के कर्ज का गलत इस्तेमाल किया। एजेंसी के मुताबिक, एक कंपनी द्वारा लिए गए बैंक कर्ज को अन्य कंपनियों के कर्ज चुकाने, संबंधित पक्षों को ट्रांसफर करने और निवेश के लिए डायवर्ट किया गया।

जांच के मुताबिक, 13,600 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का गबन किया गया, जिसमें से ₹12,600 करोड़ रुपये संबंधित कंपनियों को ट्रांसफर किए गए और ₹1,800 करोड़ रुपये एफडी व म्यूचुअल फंड में निवेश किए गए। कुछ रकम को विदेश भेजे जाने की भी कंफर्मेशन हुई है।

खास तरह के पैटर्न से हुई हेराफेरी

ED ने कहा कि उसने इस मामले में पूर्व-निर्धारित लाभार्थियों, मनगढंत कागजी कार्रवाई, नियंत्रणों से छूट, अनुमोदन से पहले धन का वितरण और फिर संबंधित संस्थाओं को तुरंत पैसा भेजने जैसे पैटर्न का पता लगाया है। इस तरह की गतिविधि ने पब्लिक फंडिंग की हेराफेरी को संभव बनाया। एजेंसी ने कहा कि वह अपराध की आय का पता लगाना जारी रखे हुए है।

किन संपत्तियों पर चला ED का बुलडोज़र?

•    मुंबई के पाली हिल स्थित पारिवारिक बंगला,
•    नवी मुंबई की धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (132 एकड़)
•    दिल्ली के महाराजा रणजीत सिंह मार्ग पर रिलायंस सेंटर,
•    चर्चगेट स्थित नागिन महल भवन,
•    नोएडा का बीएचए मिलेनियम अपार्टमेंट,
•    हैदराबाद का कैमस कैप्री अपार्टमेंट,
•    और कई अन्य कंपनियों, आधार प्रॉपर्टी कंसल्टेंसी, मोहनबीर हाई-टेक बिल्ड, गमेसा इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट, विहान 43 रियल्टी, कैंपियन प्रॉपर्टीज लिमिटेड की प्रॉपर्टीज। इन संपत्तियों का ऐक्सपेंशन दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, मुंबई, पुणे, ठाणे, हैदराबाद, चेन्नई और आंध्र प्रदेश तक फैला है।

कौन-कौन से कानून तोड़े गए?

ईडी की कार्रवाई CBI की प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें
•    भारतीय दंड संहिता की धारा 120-B (षड्यंत्र), 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी)
•    और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(2) व 13(1)(D) शामिल हैं।
आरकॉम और उसके सहयोगी समूहों पर करीब ₹40,185 करोड़ रुपये का बकाया कर्ज है। पांच प्रमुख बैंकों ने इनके खातों को फर्जीवाड़ा (fraud) घोषित किया है।

कंपनी का बयान: अनिल अंबानी अब बोर्ड में नहीं

रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (R-Infra) ने बयान जारी कर कहा कि ईडी की जब्ती का कंपनी के कारोबार, निवेशकों या कर्मचारियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अनिल अंबानी पिछले 3.5 साल से बोर्ड में नहीं हैं। कंपनी सूत्रों का कहना है कि दिल्ली स्थित रिलायंस सेंटर और नॉलेज सिटी, दोनों संपत्तियां आरकॉम की हैं, जो बीते 6 सालों से दिवालियापन प्रक्रिया में हैं।

ईडी का पक्ष: जनता का नुकसान पूरा करना है मकसद

ईडी ने कहा कि जब्त संपत्तियां कानून की प्रक्रिया के बाद ऋणदाताओं को लौटाई जाएंगी, ताकि बैंकों और आम जनता का नुकसान पूरा किया जा सके। एजेंसी के मुताबिक, यह कार्रवाई साक्ष्य और वैधानिक प्रक्रिया के आधार पर की गई है, ताकि कॉर्पोरेट कर्ज दुरुपयोग पर सख्त उदाहरण पेश हो सके।

यह मामला केवल अनिल अंबानी या रिलायंस समूह का नहीं, बल्कि भारत की बैंकिंग और कॉर्पोरेट गवर्नेंस पर गहरी चोट है। अगर जांच में गड़बड़ी साबित होती है, तो यह देश के सबसे बड़े कॉर्पोरेट धोखाधड़ी मामलों में से एक बन सकता है। कर्ज जनता का था, और उसका दुरुपयोग विश्वास का सबसे बड़ा अपराध है।