Rangbhari Ekadashi: माता गौरा का गौना कराकर महादेव लौटे विश्वनाथ धाम, रंगोत्सव की हुई शुरुआत

Rangbhari Ekadashi: काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत के निधन के पश्चात सोमवार सुबह भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच उनके परिवार ने 350 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन किया। हर वर्ष की परंपरा के अनुसार रंगभरी एकादशी (Rangbhari Ekadashi) पर गौना बारात दोपहर 3 बजे निकलती थी, लेकिन इस बार इसे सुबह 8:22 बजे महंत आवास से रवाना किया गया। यह शोभायात्रा अपने पारंपरिक मार्गों से होकर विश्वनाथ धाम पहुंची, जहां शंकराचार्य चौक पर बाबा विश्वनाथ और माता गौरा की प्रतिमा को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा गया। इतिहास में पहली बार इस मूर्ति को महंत आवास से मंदिर तक ले जाते समय ढककर रखा गया।

Rangbhari Ekadashi: गर्भगृह तक शोभायात्रा का नया स्वरूप

हर साल गौना की शोभायात्रा के दौरान पालकी को मंदिर चौक से गर्भगृह तक ले जाया जाता था, जहां सप्तऋषि आरती के बीच पारंपरिक रूप से प्रतिमा की स्थापना की जाती थी। इसी अवसर पर काशी के श्रद्धालु बाबा से होली खेलने की अनुमति मांगते और फिर अबीर-गुलाल व फूलों की होली खेली जाती थी।

Rangbhari Ekadashi: माता गौरा का गौना कराकर महादेव लौटे विश्वनाथ धाम, रंगोत्सव की हुई शुरुआत Rangbhari Ekadashi: माता गौरा का गौना कराकर महादेव लौटे विश्वनाथ धाम, रंगोत्सव की हुई शुरुआत

सुरक्षा के बीच प्रतिमा को मंदिर तक पहुंचाया गया

इस बार विशेष सुरक्षा के तहत महंत आवास से भगवान शिव और माता गौरा की प्रतिमा को कपड़े से ढककर मंदिर तक पहुंचाया गया। प्रतिमा को मंदिर प्रांगण में रखा गया है, जहां दोपहर 1 बजे विधिवत पूजा-अर्चना के बाद मंदिर के चारों दिशाओं में महादेव और माता गौरा की शोभायात्रा निकाली जाएगी। इस दौरान भक्तगण रंग और गुलाल उड़ाएंगे।

रंग उत्सव की हुई शुरुआत

शाम 4 बजे मूर्ति को गर्भगृह के समीप लाया जाएगा और सप्तऋषि आरती के दौरान गुलाल अर्पित किया जाएगा। इस धार्मिक आयोजन के साथ ही काशी में रंग उत्सव की औपचारिक शुरुआत होगी, जो उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।

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