एक देश,एक चुनाव: शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश करने की तैयारी, व्यापक चर्चा के संकेत

नई दिल्ली। केंद्र सरकार “एक देश, एक चुनाव” की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। सूत्रों के अनुसार, संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर विधेयक पेश किया जा सकता है। कैबिनेट पहले ही रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दे चुकी है। सरकार अब इस विधेयक पर आम सहमति बनाने और इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की योजना बना रही है।

जेपीसी विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों, बुद्धिजीवियों और राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों से विचार-विमर्श करेगी। इसके अलावा, आम जनता से भी राय मांगी जाएगी। सरकार का उद्देश्य विधेयक को लोगों की सहभागिता के साथ एक व्यापक दृष्टिकोण से तैयार करना है। एक देश, एक चुनाव के लिए संविधान में बड़े पैमाने पर संशोधन की आवश्यकता होगी। इसके लिए छह अलग-अलग विधेयक लाने होंगे। संसद में इसे पास करने के लिए दो-तिहाई बहुमत की दरकार होगी। हालांकि एनडीए के पास दोनों सदनों में बहुमत है, लेकिन दो-तिहाई का आंकड़ा हासिल करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

राज्यसभा की 245 सीटों में एनडीए के पास 112 और विपक्ष के पास 85 सीटें हैं। सरकार को राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत के लिए 164 वोटों की जरूरत होगी। लोकसभा में एनडीए की 292 सीटें हैं, जहां दो-तिहाई बहुमत के लिए 364 वोट आवश्यक हैं। हालांकि, बहुमत की गणना उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के आधार पर होगी, जिससे स्थिति बदल सकती है।

सरकार का कहना है कि मौजूदा प्रणाली समय, धन और श्रम की बर्बादी करती है। बार-बार चुनाव आचार संहिता लागू होने से विकास कार्यों पर भी रोक लग जाती है। कोविंद समिति की रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि सरकार को द्विदलीय समर्थन और एक राष्ट्रीय सहमति विकसित करनी चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक, “एक देश, एक चुनाव” का कार्यान्वयन 2029 के बाद किया जा सकता है।

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