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घोसी उपचुनाव: आखिर कौन हैं सुजीत सिंह, जिन्हें शिवपाल यादव ने BJP के खिलाफ उतारा मैदान में?

 
घोसी उपचुनाव: आखिर कौन हैं सुजीत सिंह, जिन्हें शिवपाल यादव ने BJP के खिलाफ उतारा मैदान में?
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मऊ। समाजवादी पार्टी ने मऊ जिले की घोसी विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है। पार्टी ने दिवंगत विधायक सुधाकर सिंह के पुत्र सुजीत सिंह को मैदान में उतारा है। यह घोषणा सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने की है। सुधाकर सिंह का 20 नवंबर 2025 को लखनऊ के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया था, जिसके बाद यह सीट रिक्त हो गई।

सुजीत सिंह घोसी के पूर्व ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं और स्थानीय स्तर पर युवा चेहरा के रूप में पहचान रखते हैं। सपा के इस कदम से पार्टी को सहानुभूति वोट के साथ-साथ राजनीतिक बढ़त मिलने की उम्मीद है। पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने पहले ही सुधाकर सिंह के परिवार को समर्थन का आश्वासन दिया था। शिवपाल यादव ने गाजीपुर दौरे के दौरान सुजीत सिंह के नाम पर मुहर लगाते हुए कहा कि वे घोसी की जनता के बीच मजबूत प्रतिनिधित्व करेंगे और पार्टी कार्यकर्ता उन्हें जिताने में पूरा जोर लगाएंगे।

पिछले चुनावों की बात करें तो 2022 विधानसभा चुनाव में सपा के दारा सिंह चौहान ने घोसी सीट से 1,08,430 वोट लेकर भाजपा के विजय राजभर को 22,216 वोटों से हराया था। बाद में दारा सिंह चौहान के भाजपा में वापस जाने से उपचुनाव हुआ, जिसमें सुधाकर सिंह ने भाजपा उम्मीदवार को 42,672 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया था। उस उपचुनाव में भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी थी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभाएं हुईं, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक व केशव प्रसाद मौर्य सहित कई दिग्गज प्रचार में उतरे थे लेकिन जीत सपा की हुई।

अब भाजपा और उसकी सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) अपने उम्मीदवार को अंतिम रूप देने में जुटी हैं। पिछली हार से सबक लेते हुए भाजपा इस बार नई रणनीति के साथ मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी नेता जनता के बीच सरकार की उपलब्धियां गिनाने और स्थानीय मुद्दों पर फोकस करने का प्लान बना रहे हैं।

चुनाव आयोग ने अभी उपचुनाव की तारीखों की घोषणा नहीं की है, लेकिन नियमों के अनुसार सीट खाली होने के छह महीने के अंदर चुनाव कराना जरूरी है। ऐसे में अप्रैल 2026 तक उपचुनाव होने की संभावना है। घोसी उपचुनाव उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, जहां सपा ने उम्मीदवार घोषित कर पहले ही बढ़त बना ली है, जबकि भाजपा अपनी कमियों को दूर करने की कोशिश में लगी है।