वॉशिंगटन I भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने भारत में बढ़ती उद्यमिता और स्टार्टअप संस्कृति की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में भारतीय युवाओं की मानसिकता में बड़ा बदलाव आया है, जो अब बहुराष्ट्रीय कंपनियों (एमएनसी) में नौकरी की बजाय उद्यमी बनने को प्राथमिकता दे रहे हैं।
वॉशिंगटन डीसी में भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) और अमेरिका-भारत सामरिक भागीदारी मंच (USISPF) द्वारा आयोजित अमेरिका-भारत आर्थिक मंच में अपने भाषण में मल्होत्रा ने कहा, “जब मैंने कॉलेज छोड़ा था, तब MNC में नौकरी करना मेरा पसंदीदा विकल्प था। उस समय किसी ने भी अपना उद्यम शुरू करने के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन अब बड़ी संख्या में इंजीनियरिंग और प्रबंधन स्नातक स्टार्टअप और उद्यमिता की ओर रुख कर रहे हैं।”

RBI गवर्नर ने बताया कि भारत में उद्यमिता की बढ़ती संस्कृति ने देश को एक मजबूत स्टार्टअप इकोसिस्टम बनाने में मदद की है। वर्तमान में भारत में लगभग 1,50,000 मान्यता प्राप्त स्टार्टअप हैं, जिन्हें स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया और इनोवेशन मिशन जैसी सरकारी योजनाओं का समर्थन प्राप्त है। भारत अब दुनिया में तीसरी सबसे बड़ी संख्या में यूनिकॉर्न कंपनियों वाला देश बन गया है, जिनमें से कई आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, फिनटेक और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उच्च तकनीक क्षेत्रों से उभर रहे हैं।
RBI गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी बताया कि भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक में अपनी स्थिति में उल्लेखनीय सुधार किया है। 2015 में 81वें स्थान से बढ़कर 2024 में भारत 39वें स्थान पर पहुंच गया है और निम्न-मध्यम आय वाले देशों में पहले स्थान पर है। उन्होंने कहा, “यह खुशी की बात है कि भारत तेजी से नौकरी चाहने वालों की बजाय नौकरी देने वालों का देश बन रहा है।”
RBI गवर्नर ने डिजिटल पहलों के प्रभाव पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को आधार से जोड़ने और प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) जैसी योजनाओं से सरकारी खर्च की दक्षता में सुधार हुआ है। इससे मार्च 2023 तक लगभग 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बचत हुई है। साथ ही, डिजिटलीकरण ने केंद्र और राज्य सरकारों को नकदी प्रवाह को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने में मदद की है।