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Chaitra Navratri 2025 : आठवें दिन है मंगला गौरी और मां अन्नपूर्णा देवी के दर्शन का विधान, जानें काशी के किस क्षेत्र में है माता का मंदिर

 
Chaitra Navratri 2025 : आठवें दिन है मंगला गौरी और मां अन्नपूर्णा देवी के दर्शन का विधान, जानें काशी के किस क्षेत्र में है माता का मंदिर
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Chaitra Navratri 2025 : चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2025) अब अपने समापन की ओर अग्रसर है। अष्टमी तिथि के पावन अवसर पर भक्तों ने मां महागौरी और मां मंगला गौरी के दरबार में श्रद्धा के साथ हाजिरी लगाई। अष्टमी के दिन देवी महागौरी के रूप में मां अन्नपूर्णा की पूजा का विशेष महत्व होता है, वहीं मंगला गौरी की भी विशेष आराधना की जाती है।

Chaitra Navratri 2025 : काशी के प्राचीन मंदिरों में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब

काशी के पंचगंगा घाट के पास स्थित मंगला गौरी मंदिर और श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के समीप स्थित माता अन्नपूर्णा मंदिर में भोर से ही भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। श्रद्धालु कतारों में खड़े होकर अपने नंबर का इंतजार कर रहे हैं। कोई नंगे पांव माता के दर्शन को पहुंच रहा है, तो कई विकलांग भक्त भी आस्था के साथ मां के चरणों में शीश झुका रहे हैं।

Chaitra Navratri 2025 : काशी के इस मंदिर में दर्शन मात्र से मिलती हैं हर संकट से मुक्ति, नारियल व चुनरी के चढ़ावे से मां होती है प्रसन्न

Chaitra Navratri 2025 : मां अन्नपूर्णा के 11 या 108 फेरे लगाने की परंपरा

अन्नपूर्णा देवी को अन्न और समृद्धि की देवी माना जाता है। मान्यता है कि मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त 11 या 108 बार मंदिर की परिक्रमा करते हैं। इसके लिए मंदिर प्रबंधन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई है। मां के दर्शन और पूजन से सभी प्रकार की इच्छाएं पूरी होती हैं।

मां की कृपा से कोई नहीं रहता भूखा

काशी स्थित मां अन्नपूर्णा का मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक रूप से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माता के दर्शन करता है, वह जीवन में कभी दरिद्र नहीं होता। मां की कृपा से कोई भी व्यक्ति भूखा नहीं सोता। उनकी उपासना से जीवन के सभी अमंगल समाप्त हो जाते हैं।

मंगला गौरी दर्शन से मंगल दोष से मुक्ति

मंगला गौरी मंदिर की विशेष मान्यता है कि शुभ तिथियों पर पांच, सात या 14 मंगलवार दर्शन करने से और विशेष रूप से कुमकुम अर्चन, स्वर्णदान और अभिषेक से युवक-युवतियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही विवाह में आने वाले सभी विघ्न दूर होते हैं और मंगल दोष का निवारण होता है।