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Supreme Court : वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को होगी पहली सुनवाई, देशभर से 72 याचिकाएं दाखिल

 
Supreme Court : वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को होगी पहली सुनवाई, देशभर से 72 याचिकाएं दाखिल
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New Delhi : वक्फ संशोधन अधिनियम को लेकर चल रहे देशव्यापी विरोध और समर्थन के बीच यह मामला बुधवार, 16 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट(Supreme Court) में पहली बार सुनवाई के लिए पहुंचा है। दोपहर 2 बजे से मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और के वी विश्वनाथन की पीठ 72 याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

याचिकाकर्ताओं में विपक्षी दलों के कई प्रमुख नेता और धार्मिक संगठन शामिल हैं, जिनमें शामिल हैं:

  • AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी
  • AAP विधायक अमानतुल्लाह खान
  • जमीयत उलेमा प्रमुख मौलाना अरशद मदनी
  • SP सांसद जियाउर्रहमान बर्क
  • टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा
  • कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद
  • आरजेडी सांसद मनोज झा
  • ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड
  • समस्त केरल जमीयतुल उलेमा
  • IUML और जेडीयू नेता परवेज़ सिद्दीकी सहित अन्य।
Supreme Court : वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को होगी पहली सुनवाई, देशभर से 72 याचिकाएं दाखिल
Supreme Court

इन याचिकाओं में आरोप है कि वक्फ संशोधन कानून मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।

याचिकाकर्ताओं ने इस कानून को भारतीय संविधान के निम्नलिखित अनुच्छेदों के खिलाफ बताया है:

  • अनुच्छेद 14 और 15: समानता और भेदभाव के निषेध का अधिकार
  • अनुच्छेद 25 और 26: धार्मिक स्वतंत्रता और धर्म का प्रबंधन
  • अनुच्छेद 29: अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक अधिकार
  • अनुच्छेद 300A: संपत्ति का अधिकार

उनका कहना है कि वक्फ एक धार्मिक संस्था है और सरकारी हस्तक्षेप धर्मनिरपेक्षता की भावना के विपरीत है।

दूसरी ओर, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, महाराष्ट्र, उत्तराखंड, असम और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों ने कानून का समर्थन किया है। उन्होंने इसे पारदर्शी, न्यायसंगत और व्यावहारिक बताया है। कुछ आदिवासी संगठनों ने भी समर्थन करते हुए कहा है कि पुराने कानूनों के चलते वक्फ बोर्ड द्वारा जनजातीय भूमि पर अवैध कब्जा किया जा रहा था, जो अब इस संशोधन से रोका जा सकेगा।

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है, जिसमें यह सुनिश्चित करने की मांग की गई है कि कोर्ट किसी भी आदेश से पहले सरकार का पक्ष अवश्य सुने। याचिकाओं में वक्फ कानून पर अस्थायी रोक लगाने की मांग भी शामिल है।

बुधवार की सुनवाई केवल कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत है, लेकिन इसका असर सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर बहुत गहरा और दूरगामी हो सकता है। यह मामला केवल एक धार्मिक कानून से जुड़ा नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों, अल्पसंख्यक अधिकारों और भूमि विवादों से भी जुड़ा हुआ है।