वाराणसी। एंड-स्टेज किडनी रोग (ESRD) से पीड़ित मरीजों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट एक जीवनरक्षक उपचार है, जो जीवन की गुणवत्ता और जीवनकाल दोनों में सुधार कर सकता है। यह प्रक्रिया जटिल है और इसके लिए प्रारंभिक जांच और सावधानीपूर्वक योजना की आवश्यकता होती है।
मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, साकेत के वरिष्ठ निदेशक और यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. पी.पी. सिंह ने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट से पहले मरीजों की विस्तृत जांच की जाती है। इसमें चिकित्सा इतिहास की समीक्षा, शारीरिक परीक्षण, रक्त जांच, इमेजिंग अध्ययन और कुछ मामलों में मानसिक स्थिति का मूल्यांकन भी शामिल होता है। साथ ही उन्होंने बताया कि यह सर्जरी सामान्यतः 3-4 घंटे तक चलती है, जिसमें नई किडनी को मरीज के निचले पेट में स्थापित किया जाता है। बीमार किडनी को तभी हटाया जाता है जब वह किसी गंभीर समस्या का कारण बन रही हो। नई किडनी अक्सर तुरंत काम करना शुरू कर देती है। सर्जरी के बाद मरीज को अस्पताल में 7 दिन तक निगरानी में रखा जाता है।

डॉ. सिंह बताते हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट से रिकवरी के लिए नियमित फॉलो-अप और इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं का सही सेवन बेहद जरूरी है। इसके अलावा, संतुलित आहार, शारीरिक सक्रियता और मानसिक परामर्श भी मरीजों के लिए मददगार साबित होते हैं। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि किडनी ट्रांसप्लांट को सुरक्षित माना जाता है, लेकिन इसके साथ खून बहने, संक्रमण, अंग अस्वीकृति और इम्यूनोसप्रेसिव दवाओं के कारण संक्रमण जैसे जोखिम जुड़े होते हैं। ट्रांसप्लांट के बाद हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर का खतरा भी बढ़ सकता है।
