वाराणसी। टीबी (क्षय रोग) मुक्त भारत और प्लास्टिक मुक्त बरेका अभियान के अंतर्गत जलालीपट्टी मार्केट में सोमवार शाम को नुक्कड़ नाटक ‘लापरवाही’ का प्रभावी मंचन किया गया। इस नाटक का उद्देश्य टीबी और प्लास्टिक प्रदूषण के खिलाफ जनजागरूकता फैलाना था।
बरेका की सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों ने नाटक का प्रदर्शन किया, जिसमें टीबी के लक्षण, बचाव और इलाज के महत्व को प्रमुखता से दर्शाया गया। नाटक का लेखन बहादुर प्रताप ने किया और इसका निर्देशन मुकेश दुबे ने किया।

मुख्य अतिथि, प्रमुख मुख्य यांत्रिक इंजीनियर सुब्रत नाथ ने अपने संबोधन में कहा कि टीबी एक ऐसी बीमारी है जिसे समय पर पहचान और इलाज से पूरी तरह ठीक किया जा सकता है। जनजागरूकता से ही इसका उन्मूलन संभव है। उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण के दुष्प्रभावों पर भी प्रकाश डाला और प्रदूषण मुक्त बरेका के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ने का आह्वान किया।
प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. देवेश कुमार ने टीबी के लक्षण और उसके इलाज के महत्व पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि टीबी का इलाज सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में निःशुल्क उपलब्ध है और समय पर इलाज से इसे जड़ से खत्म किया जा सकता है।
कार्यक्रम की शुरुआत टीबी और प्लास्टिक मुक्त संदेश वाले पंपलेट्स के अनावरण से हुई। पंपलेट्स को बरेका कर्मचारी परिषद, सिविल डिफेंस, सेंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड, रेल सुरक्षा बल और सरोवर संरक्षण क्लब के प्रतिनिधियों में वितरित किया गया।

नुक्कड़ नाटक ‘लापरवाही’ ने न केवल टीबी के बारे में जागरूकता फैलाई, बल्कि प्लास्टिक के उपयोग और पर्यावरणीय नुकसान को लेकर भी गंभीर संदेश दिया। नाटक ने बताया कि समय पर इलाज न कराने की लापरवाही जीवन के लिए खतरनाक हो सकती है और प्रदूषण मुक्त बरेका के लिए प्लास्टिक का उपयोग बंद करना आवश्यक है।
कार्यक्रम में बरेका के विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे, जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया। इस कार्यक्रम का संचालन जनसंपर्क अधिकारी राजेश कुमार ने किया।
