वाराणसी: काशी नगरी में स्थित एक अनोखा मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर मां सरस्वती के द्वादश स्वरूपों के लिए प्रसिद्ध है। इसे दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर माना जाता है जहां वाग्देवी के 12 अलग-अलग रूपों की पूजा होती है।
मां सरस्वती के द्वादश स्वरूपों की विशेषता
वाराणसी के इस मंदिर में मां सरस्वती के द्वादश स्वरूप स्थापित हैं, जिनका पूजन विशेष रूप से बसंत पंचमी पर किया जाता है। विद्या और बुद्धि की अधिष्ठात्री देवी के इन स्वरूपों की अलग-अलग मान्यताएं हैं, और हर स्वरूप अपने भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्रदान करता है।

कांचीकोटि के शंकराचार्य द्वारा हुई थी स्थापना
मंदिर के महंत सच्चिदानंद पांडे के अनुसार, इस पवित्र मंदिर की स्थापना कांचीकोटि के शंकराचार्य द्वारा की गई थी। दक्षिण भारतीय वास्तुकला से निर्मित यह मंदिर पिछले 32 वर्षों से लगातार श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
बसंत पंचमी पर होती है विशेष पूजा
बसंत पंचमी के अवसर पर यहां मां सरस्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दौरान मंदिर में श्वेत वस्त्रों से सजी मां सरस्वती को सफेद फूलों और भोग अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन माता की आराधना करने से विद्या, बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति होती है।

काशी में एकमात्र सरस्वती मंदिर
महंत सच्चिदानंद पांडे के अनुसार, यह वाराणसी में स्थित एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां मां सरस्वती की आराधना की जाती है। यहां सुबह-शाम आरती होती है और हर दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण का भी प्रतीक है।