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पूर्व सांसद धनंजय सिंह को 23 साल पुराने केस में झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की अपील 
 

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने वाराणसी के 23 साल पुराने नदेसर हमले मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह की अपील खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि गैंग्स्टर एक्ट के तहत केवल राज्य सरकार या पीड़ित ही निर्णय को चुनौती दे सकते हैं, जबकि धनंजय सिंह ‘पीड़ित’ की श्रेणी में नहीं आते।

 
पूर्व सांसद धनंजय सिंह
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी के नदेसर में 23 साल पहले हुए जानलेवा हमले के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बड़ी राहत देने से इनकार करते हुए उनकी अपील को खारिज कर दिया है। धनंजय सिंह ने ट्रायल कोर्ट द्वारा आरोपितों को बरी किए जाने के आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने यह कहते हुए उनकी दलील स्वीकार नहीं की कि उन्हें इस मामले में अपील करने का अधिकार ही प्राप्त नहीं है।


अपील दायर करने के अधिकारी नहीं

अदालत ने स्पष्ट कहा कि जिस घटना को आधार बनाकर ट्रायल चला, उसमें धनंजय सिंह स्वयं घायल या प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित व्यक्ति नहीं थे। उस हमले में चोट उनके गनर और ड्राइवर को लगी थी, इसलिए कानून की दृष्टि में वही इस मामले के वास्तविक पीड़ित माने जाएंगे। अदालत के अनुसार धनंजय सिंह पीड़ित की कानूनी परिभाषा में नहीं आते, इसलिए आरोपितों को बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ वह अपील दायर करने के अधिकारी नहीं हैं। इस आधार पर अदालत ने अपील को पोषणीय न मानते हुए खारिज कर दिया।

हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि गैंग्स्टर एक्ट एक विशेष कानून है, जिसके तहत एफआईआर दर्ज करने और कार्रवाई प्रारंभ करने का अधिकार केवल राज्य सरकार और अधिकृत अधिकारियों को है। यह कानून किसी निजी व्यक्ति को रिपोर्ट दर्ज करने की अनुमति नहीं देता। 


वास्तविक पीड़ित को अपील का हक

अदालत ने बताया कि गैंग्स्टर एक्ट के तहत दर्ज अपराध व्यक्ति के खिलाफ नहीं बल्कि राज्य और समाज के विरुद्ध माने जाते हैं, इसलिए किसी व्यक्ति को इस एक्ट के तहत दायर मामले में विशेष अधिकार प्राप्त नहीं होते। अदालत ने दोहराया कि यदि राज्य सरकार बरी के निर्णय से असहमत होती, तो वही अपील दायर कर सकती थी। यदि वह अपील न करती तो बीएनएसएस के अनुसार केवल वास्तविक पीड़ित को अपील का हक मिलता, जिसमें धनंजय सिंह शामिल नहीं हैं।


2002 में वाराणसी में हुआ था हमला
मामले से जुड़े तथ्यों के अनुसार वर्ष क्षेत्र के नदेसर में धनंजय सिंह पर हमला हुआ था जिसमें उनके सुरक्षाकर्मी घायल हुए थे। गनर की शिकायत पर विधायक अभय सिंह, एमएलसी विनीत सिंह सहित कई अन्य लोगों पर गैंग्स्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। ट्रायल कोर्ट ने बाद में सबूतों के अभाव में सभी आरोपितों को बरी कर दिया था। उसी आदेश को चुनौती देने धनंजय सिंह हाईकोर्ट पहुंचे थे।


राज्य सरकार ने किया धनंजय सिंह की अपील का विरोध

राज्य सरकार ने भी अदालत में धनंजय की अपील का विरोध किया और कहा कि गैंग्स्टर एक्ट के तहत अपराध समाज और राज्य के खिलाफ माना जाता है, न कि किसी व्यक्ति विशेष के। इसलिए धनंजय को अपील का अधिकार नहीं है। इसी तर्क से सहमत होते हुए अदालत ने कहा कि अपीलकर्ता न तो इस मामले में पीड़ित हैं और न ही ऐसे किसी अधिकार से संपन्न जिन्हें अपील दायर करने की अनुमति मिले। अदालत ने स्पष्ट टिप्पणी की कि अपील न केवल असंगत है बल्कि विधिक दृष्टि से विचारणीय भी नहीं है।

अंत में न्यायालय ने घोषणा की कि धनंजय सिंह की अपील विधि के अनुरूप नहीं है और इसे खारिज किया जाता है। इस आदेश के साथ आरोपितों की बरी का फैसला यथावत बना रहेगा, जब तक कि राज्य सरकार स्वयं इस पर आगे कोई कदम न उठाए।